path 'everst meri shikhar yatra ' ke aadhaar par bachendri pal ki visheshtaye btaye.
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पाठ “एवरेस्ट – मेरी शिखर यात्रा” के आधार पर कहा जा सकता है कि बछेंद्री पाल एक साहसी महिला थीं।
बछेंद्री पाल में गजब का आत्मविश्वास था। उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से एवरेस्ट को फतह करके एवरेस्ट फतह करने वाली भारत की प्रथम महिला और विश्व की पांचवी महिला होने का गौरव हासिल किया। यह उनके जुझारू व्यक्तित्व को दर्शाता है।
बचेंद्री पाल का जन्म एक अत्यंत साधारण से परिवार में हुआ था। उनका परिवार इतना साधारण था कि उनके पिता उनकी पढ़ाई का खर्चा भी नहीं उठा पाते थे और बछेंद्री पाल जैसे-तैसे सिलाई कढ़ाई आदि छोटे-मोटे कार्य करके अपनी पढ़ाई का खर्चा जुटाती थीं।
बछेंद्री पाल को बचपन से ही पहाड़ों पर चढ़ने का शौक था और अपने इसी शौक के मद्देनजर में एक दिन एवरेस्ट फतह करने वाले अभियान दल में शामिल हो गई और उन्होंने 8 माह तक कठोर परिश्रम कर ट्रेनिंग ली और अंततः उन्होंने एवरेस्ट को फतह करके ही दम लिया।
वह साहसी महिला होने के साथ-साथ एक दयालु एवं सहयोगी महिला भी थी जब इसका उदाहरण यह घटना से मिलता है जब वह एवरेस्ट फतह करने के अभियान में निकली थी तो भारी खराब मौसम में मैं अपने दल के दूसरे सदस्यों की मदद के लिए एक थर्मस में जूस और दूसरे में चाय भरकर बर्फीली तूफान में अपने तंबू से बाहर निकलकर उतर गई और लोगों ने उनको बहुत मना किया लेकिन वह नहीं मानी और अन्य लोगों की सहायता के लिए बड़ी तत्परता से जुट गई।
बचेंद्री पाल भारत की स्त्री शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है जो अपने दम पर कुछ भी हासिल कर सकती है।