path hindustan hamara hai (class8th)
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हिंदुस्थान हमारा है
.
बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' (8 दिसम्बर 1897 :: 29 अप्रैल 1960)
कोटि-कोटि कंठों से निकली आज यही स्वरधारा है
भारतवर्ष हमारा है यह, हिंदुस्थान हमारा है।
जिस दिन सबसे पहले जागे, नव-सृजन के स्वप्न घने
जिस दिन देश-काल के दो-दो, विस्तृत विमल वितान तने
जिस दिन नभ में तारे छिटके जिस दिन सूरज-चांद बने
तब से है यह देश हमारा, यह अभिमान हमारा है।
जबकि घटाओं ने सीखा था, सबसे पहले घिर आना
पहले पहल हवाओं ने जब, सीखा था कुछ हहराना
जबकि जलधि सब सीख रहे थे, सबसे पहले लहराना
उसी अनादि आदि-क्षण से यह, जन्म-स्थान हमारा है।
जिस क्षण से जड़ रजकण, गतिमय होकर जंगम कहलाए
जब विहंसी प्रथमा ऊषा वह, जबकि कमल-दल मुस्काए
जब मिट्टी में चेतन चमका, प्राणों के झोंके आए
है तब से यह देश हमारा, यह मन-प्राण हमारा है।
कोटि-कोटि कंठों से निकली आज यही स्वर-धारा है
भारतवर्ष हमारा है यह, हिंदुस्थान हमारा है।
.-=<>=-.
अनमोल वचन-
देशभक्त कवि, स्वतंत्रता सेनानी बालकृष्ण शर्मा "नवीन" की यह ओजस्वी रचना मेरे प्राथमिक विद्यालय की प्रार्थना का अंश थी। प्रतिदिन गाते हुए कब मेरे व्यक्तित्व और जीवन का अंश बन गयी पता ही नहीं चला।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।
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बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' (8 दिसम्बर 1897 :: 29 अप्रैल 1960)
कोटि-कोटि कंठों से निकली आज यही स्वरधारा है
भारतवर्ष हमारा है यह, हिंदुस्थान हमारा है।
जिस दिन सबसे पहले जागे, नव-सृजन के स्वप्न घने
जिस दिन देश-काल के दो-दो, विस्तृत विमल वितान तने
जिस दिन नभ में तारे छिटके जिस दिन सूरज-चांद बने
तब से है यह देश हमारा, यह अभिमान हमारा है।
जबकि घटाओं ने सीखा था, सबसे पहले घिर आना
पहले पहल हवाओं ने जब, सीखा था कुछ हहराना
जबकि जलधि सब सीख रहे थे, सबसे पहले लहराना
उसी अनादि आदि-क्षण से यह, जन्म-स्थान हमारा है।
जिस क्षण से जड़ रजकण, गतिमय होकर जंगम कहलाए
जब विहंसी प्रथमा ऊषा वह, जबकि कमल-दल मुस्काए
जब मिट्टी में चेतन चमका, प्राणों के झोंके आए
है तब से यह देश हमारा, यह मन-प्राण हमारा है।
कोटि-कोटि कंठों से निकली आज यही स्वर-धारा है
भारतवर्ष हमारा है यह, हिंदुस्थान हमारा है।
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अनमोल वचन-
देशभक्त कवि, स्वतंत्रता सेनानी बालकृष्ण शर्मा "नवीन" की यह ओजस्वी रचना मेरे प्राथमिक विद्यालय की प्रार्थना का अंश थी। प्रतिदिन गाते हुए कब मेरे व्यक्तित्व और जीवन का अंश बन गयी पता ही नहीं चला।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।
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