path shiksha k adhar par Gyani aur agyani mein Antar spasht kijiye
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पाठ ‘शिक्षा’ ‘स्वामी विवेकानन्द’ के भाषण और विचारों पर आधारित है।
पाठ ‘शिक्षा’ में स्वामी विवेकानन्द ने ज्ञानी व अज्ञानी के अंतर को स्पष्ट किया है। स्वामी विवेकानंद के अनुसार जो भी ज्ञान है, चाहे वो आलोकिक रूप में हो या लौकिक रूप में, वो मनुष्य के अंदर ही निहित होता है। मनुष्य को अपने अंदर के इस ज्ञान को पहचानना होता है। इस ज्ञान पर एक आवरण पड़ा रहता है। मनुष्य जितना ही इस आवरण को हटाता जाता है ज्ञान उतना ही बाहर आता जाता है और मनुष्य ज्ञानी बनता जाता है। जो लोग इस आवरण को नही हटा पाते वो अज्ञानी बने रह जाते हैं।
स्वामी विवेकानंद के कहने का तात्पर्य ये है कि सारा ज्ञान मनुष्य के अंदर ही समाया हुआ है, मनुष्य जितना अधिक स्वयं को समझकर अपने अंदर के ज्ञान को निखारता वो ज्ञानी होता जाता है, जो अपने अंदर के ज्ञान को नही पहचान पाता और उसे बाहर ढूंढता रहता है वो अज्ञानी ही रह जाता है।
Answer:
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