पद -2
हो बलिया कब देखौंगी तोहि।
अह निस आतुर दरसन कारनि, ऐसी ब्यापै मोहि ॥
नैन हमारे तुम्ह . चाहैं, रती न मानें हारि ।
बिरह अगिनि तन अधिक जरावै, ऐसी लेहु बिचारि ॥
सुनहु हमारी दादि गुसाई, अंब जिन करहु बधीर ।
तुम्ह धीरज मैं आतुर स्वामी, काचै भांडै नीर ।।
बहुत दिनन के बिछुरै माधौ, मन नहिं बाँधै धीर ।
देह छताँ तुम्ह मिलहु कृपा करि, आरतिवंत कबीर ।।
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