पथ भूल न जाना पथिक कहीं पथ में कांटे तो होंगे ही तुर बादल सरिता सर होंगे सुंदर गिरेबान वापी होंगे सुंदर निर्झर होंगे इसके लिए भाव अपने शब्दों मे बताइये
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पथ भूल न जाना पथिक कहीं
पथ में काँटे तो होंगे ही,
‘दूर्वादल, सरिता, सर होंगे।
.सुन्दर गिरि-वन-वापी होंगे,
सुन्दर-सुन्दर निझर होंगे।
✎... ये काव्य डॉ शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित ‘पथिक’ नामक कविता से ली गयी हैं।
कवि कहता है कि अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए रास्ते में जहाँ अनेक तरह की बाधाएं आती हैं, वहीं रास्ते में अनेक सुहावने दृश्य भी दिखाई देते हैं। ये दृश्य हमें अपनी और आकर्षित करते हैं, लेकिन हमें सुहाने दृश्यों के सौंदर्य के भ्रम जाल में नहीं फंसना चाहिए और केवल अपने लक्ष्य की ओर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए, क्योंकि लक्ष्य प्राप्ति के लिए चलने वाले रास्ते में अनेक तरह की बाधाएं भी होंगी और कोमल दूब घास के पत्ते, नदियों के अच्छे-अच्छे दृश्य, सुन्दर पहाड़, मनोरम तालाब जैसे भ्रम जाल भी होंगे। यह सभी सुंदर दृश्य पथिक को अपने लक्ष्य प्राप्ति के रास्ते से भटकाने के लिए होते हैं, इसलिए पथिक को अपने मार्ग से भटकना नहीं है और निरंतर आगे बढ़ते जाना है, तब ही लक्ष्य की प्राप्ति होगी।
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