पठ् का लयप् प्रतयय plz answer jo first and right answer karega i will mark u as brainliest
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Explanation:
यह कृत् प्रत्यय का २ प्रकार हैं।
२) इस प्रत्यय से भी अव्यय शब्द बनता हैं।
३) इस प्रत्यय को हम क्त्वा के place में use कर सकते अगर धातु के साथ एक उपसर्ग लगा दे तो।
४) इससे बनने वाले शब्द का अर्थ भी कर।
e.g आगम्य , समाप्य , प्रणम्य
आ+गम्+ल्यप् , सम्+आप्+ल्यप् , प्र+नम्+ल्यप्
आकरके , समाप्त करके , प्रणाम करके
sentences e.g.s
1) स: गुरुम् नत्वा पाठं पठती। नम् + क्त्वा
स: गुरुम् प्रणम्य पाठं पठती। प्र+नम्+ल्यप्
2) गृहात् आगत्वा स: पाटलिपुत्रं गतवान्। आगम्+क्त्वा
गृहात् आगम्य स: पाटलिपुत्रं गतवान्। आ+गम्+ल्यप्
3) त्वं ईश्वरं पूज्यित्वा कार्यं करोसि। पूज् + क्त्वा
त्वं ईश्वरं स्मपूज्य कार्यं करोसि।स्म+पूज्+ल्यप्
हमारे पास कुछ ऐसे शब्द भी बनते है, जिनका अर्थ 'क्त्वा' प्रत्यय का प्रयोग करने पर और 'ल्यप्' प्रत्यय का प्रयोग करने पर भिन्न हो जाता है।