पद्मावत के प्रेम तत्व की विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए 600 शब्दो मे
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यह हिन्दी की अवधी बोली में है और चौपाई, दोहों में लिखी गई है। चौपाई की प्रत्येक सात अर्धालियों के बाद दोहा आता है और इस प्रकार आए हुए दोहों की संख्या 653 है।
इसकी रचना सन् 947 हिजरी. (संवत् 1540) में हुई थी। इसकी कुछ प्रतियों में रचनातिथि 927 हि. मिलती है, किंतु वह असंभव है। अन्य कारणों के अतिरिक्त इस असंभावना का सबसे बड़ा कारण यह है कि मलिक साहब का जन्म ही 900 या 906 हिजरी में हुआ था। ग्रंथ के प्रारंभ में शाहेवक्त के रूप में शेरशाह की प्रशंसा है, यह तथ्य भी 947 हि. को ही रचनातिथि प्रमाणित करता है। 927 हि. में शेरशाह का इतिहास में कोई स्थान नहीं था।
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पद्मिनी, एक पौराणिक रानी, जिसे पद्मावती के रूप में भी जाना जाता है, वह कहानी थी जो वर्तमान भारत के मेवाड़ राज्य की 13 वीं -14 वीं शताब्दी में मुगल काल के दौरान भारतीय इतिहास का अभिन्न अंग थी।
उनके जीवन के कई अन्य लिखित और मौखिक परंपरा संस्करण हिंदू और जैन परंपराओं में मौजूद हैं। ये संस्करण सूफी कवि जयसी के संस्करण से भिन्न हैं। उदाहरण के लिए, रानी पद्मिनी के पति रतन सेन अलाउद्दीन खिलजी की घेराबंदी से लड़ते हुए मर जाते हैं, और उसके बाद वह एक जौहर का नेतृत्व करते हैं। इन संस्करणों में, उन्हें एक हिंदू राजपूत रानी के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने मुस्लिम आक्रमणकारी के खिलाफ अपने सम्मान का बचाव किया। वर्षों से वह एक ऐतिहासिक व्यक्ति के रूप में नजर आने लगीं और कई उपन्यासों, नाटकों, टेलीविजन धारावाहिकों और फिल्मों में दिखाई दीं। हालाँकि, 1303 सीई में चित्तौड़ की घेराबंदी एक ऐतिहासिक घटना है, लेकिन कई आधुनिक इतिहासकार पद्मिनी किंवदंतियों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाते हैं।