पठार किसे कहते हैं? ये मैदानों से किस प्रकार भिन्न हैं।
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पृथ्वी पर अपेक्षाकृत ऊँचे एवं चौरस स्थलरूप पठार कहलाते हैं। ये पर्वतों की अपेक्षा कम ऊँचे होते हैं परन्तु इनका शिखर छोटे-छोटे उच्चावच को छोड़कर समतल एवं सपाट होता है। पठार के किनारे खड़े ढाल वाले होते हैं। जबकि भूपटल पर समतल किन्तु निचले स्थलरूपों को मैदान कहते हैं।
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पठार किसे कहते हैं? ये मैदानों से किस प्रकार भिन्न हैं।
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पठार किसे कहते हैं? ये मैदानों से किस प्रकार भिन्न हैं।
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भूमि पर मिलने वाले द्वितीय श्रेणी के स्थल रुपों में पठार अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं और सम्पूर्ण धरातल के 33% भाग पर इनका विस्तार पाया जाता हैं।अथवा धरातल का विशिष्ट स्थल रूप जो अपने आस पास की जमींन से पर्याप्त ऊँचा होता है,और जिसका ऊपरी भाग चौड़ा और सपाट हो पठार कहलाता है। सागर तल से इनकी ऊचाई 600 मीटर तक होती हैं लेकिन केवल ऊचाई के आधार पर ही पठार का वर्गीकरण नहीं किया जाता है।
➤ पठार :- धरातल का विशिष्ट स्थलरूप जो अपने आस-पास के स्थान से पर्याप्त ऊचा होता है तथा शिर्ष भाग थोड़ा और सपाट होता है। समान्यतः पठार की ऊंचाई 300 से 500 फिट होती है । कुछ अधिक ऊंचाई वाला पठार है - तिब्बत का पठार(16,000फीट), बोलीविया का पठार (12,000फीट), कोलंबिया का पठार (7,800)
➤ पठार निम्न प्रकार के होते हैं-
अंतर पर्वतीय पठार: - पर्वतमालाओं के बीच बने पठार
पर्वतपदीय पठार: - परिवर्तन और मैदान के बीच उठे समतल भाग।
महाद्वीपीय पठार :- जब पृथ्वी के भीतर जमा लैकोलिथ भू- पृष्ठ के अपरदन के कारण सतह पर उभर आते हैं तब ऐसे पठार बनते हैं : जैसे - दक्षिण का पठार।
मैदान का निर्माण अधिकांशत: नदियों और उसकी सहायक नदियों द्वारा होता है। नदियाँ पहाड़ों की ढाल पर नीचे की ओर बहती है और उन्हें अपरदित कर देती है। इन अपरदित पदार्थों जैसे- बालू, पत्थर और सिल्ट को वे अपने साथ आगे की ओर ले जाती और उन्हें घाटियों में निक्षेपित कर देती है। इन्हीं निक्षेपों से मैदानों का निर्माण होता है।
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