। पठित छंदों के जरिए कवि रसखान ने क्या-क्या कहना चाहा है
Answers
Answer:
झलकैयत, तुलैयत, ललचैयत, लैयत[4]- छंदाग्रह से झलकाना, तुलाना, ललचाना, लाना शब्दों से।
पग पैजनी बाजत पीरी कछौटी[5]-कृष्ण की वय की लघुता के आग्रह, स्वाभाविकता एवं सौंदर्य लाने के लिए कछौटा से कछौटी।
टूटे छरा बछरादिक गौधन[6]- छंदानुरोध पर तथा बछरा से शब्द साम्य के लिए छल्ला से छरा।
मोल छला के लला ने बिकेहौं[7]- लला के आग्रह से छला।
मीन सी आंखि मेरी अंसुवानी रहैं[8]- आंसुओं से भरी रहने के अर्थ में माधुर्य लाने के लिए आंसू से अंसुवानी।
मान की औधि घरी[9]- छंद की मात्रा के आग्रह से अवधि से औधि।
पांवरिया, भांवरिया, डांवरिया, सांवरिया, बावरिया[10]- पौरी, भौंरी, सांवरे, बावरी आदि से छंदानुरोध पर पांवरिया, भांवरिया बना लिया गया।
लकुट्टनि, भृकुट्टनि, उघुट्टनि, मुकुट्टनि[11]- छंदाग्रह से लकुटी, भृकुटी, मुकुट आदि शब्दों से बनाया।
हम हैं वृषभानपुरा की लली[12]- लला (पुत्र) के जोड़ पर पुत्री के अर्थ में लली शब्द का प्रयोग हुआ है।
फोरि हौ मटूकी माट[13]- छंदानुरोध पर मटुकी से मटूकी।
ज्ञानकर्म 'रु'[14] उपासना, सब अहमिति को मूल- यहाँ छंदानुरोध पर अरु से 'रु' किया गया है।