पठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर मामूली आदमी की तरह मैं भी भूल भटक सकता हूँ। पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण दिश मानती थी, इस समय सब चुप है। दरबार में बढ़ बढ़कर बातें करनेवाली मेरी बुद्धि सकती कि मैं किधर जाऊँ? और ये बढ़िया बढ़िया चमकीले कपड़े! ओह! मुझे बहुत मेरा अभिमान मुझे झूठा जान पड़ रहा है। (क) आज मेरा सारा अभिमान मुझे झूठा जान पड़ रहा है।" ये किसके कथन हैं? (ख) कौन, किसका आतंक मानती थी? (ग) उसने कैसे कपड़े पहने हुए थे? राकरणसे Language
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