Hindi, asked by dayaladitya5733, 1 year ago

पठित कविता’ अनल-किरीट’ का केन्द्रीय भाव लिखते हुए कवि का कविता में निहित उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

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Answered by RvChaudharY50
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Answer:

कविता का केन्द्रीय भाव-‘अनल-किरीट’ कविता में कवि दिनकर ने यह भाव व्यक्त किया है कि ओज, संकल्पनिष्ठा, दृढ़ता, साहस एवं संघर्षशीलता के बिना लक्ष्य की प्राप्ति सम्भव नहीं है।’ अनल’ अर्थात् आग का ताज अथवा कठिनाइयों का ताज वही पहन सकता है, जिसमें आत्मिक बल हो, हृदय में लोकहित की भावना हो, अपनी उँगली पर खंजर की धार परखने का साहस हो और पानी में आग लगाने की क्षमता हो। कवि का स्पष्ट कथन है कि दीवानों की किश्ती ही उत्ताल तरंगों को पार कर पाती है और बाधाओं के आने पर उनकी चाल बढ़ती रहती है।

इस प्रकार प्रस्तुत कविता का मूल भाव यही है कि जीवन में संघर्षशील एवं जागरूक व्यक्ति ही सफलता पाता है और वही लोकहित का कार्य भी कर सकता है। कविता में निहित उद्देश्य-‘अनल-किरीट’ कविता में ओजस्वी भावों की अभिव्यक्ति हुई है। कवि का लक्ष्य लोकहित एवं सामाजिक जीवन के प्रति मानवीय चेतना रखने का सन्देश देना है। इस निमित्त कवि चाहता है कि समाज में संघर्षशील एवं साहसी व्यक्ति हों; वीरता, ओजस्विता, साहस और दृढ़-निश्चय के साथ जागरूकता गुण से मण्डित लोग हों। ऐसे लोग ही अपना जीवन सार्थक कर पाते हैं और समाज हित के लिए अनल का किरीट धारण कर सकते हैं।

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