Hindi, asked by 67sagaryadav, 1 day ago

पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए : जिंदगी की शक्ल जिसमें टूटकर बिखरे नहीं, पत्थरों के शहर में वो आईना बनकर दिखो। आपको महसूस होगी तब हरइक दिल की जलन, जब किसी धागे - सा जलकर मोम के भीतर दिखो। एक जुगनू ने कहा मैं भी तुम्हारे साथ हूँ, वक्त की इस धुंध में तुम रोशनी बनकर दिखो। एक मर्यादा बनी है हम सभी के वास्ते, गर तुम्हें बनना है मोती सीप के अंदर दिखो। पद्यांश की अंतिम चार पंक्तियों का केंद्रीय भाग स्पष्ट कीजिये।

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Answered by SSJisOP
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और अगर बैठो कहीं तो मील का पत्थर दिखो। कवि के अनुसार → (2) मील का पत्थर आदमी हो तुम अगर तो आदमी बनकर दिखो। ऐसे दिखो - जिंदगी की शक्ल जिसमें टूटकर बिखरे नहीं, > (3) आदमी बनकर पत्थरों के शहर में वो आईना बनकर दिखो। → (4) आईना बनकर आपको महसूस होगी तब हरइक दिल की जलन, (2) (i) असत्य (ii) असत्य (iii) सत्य (iv) सत्य।

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Answered by βαbγGυrl
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Answer:

कवि के अनुसार → (2) मील का पत्थर आदमी हो तुम अगर तो आदमी बनकर दिखो। ऐसे दिखो - जिंदगी की शक्ल जिसमें टूटकर बिखरे नहीं, > (3) आदमी बनकर पत्थरों के शहर में वो आईना बनकर दिखो। → (4) आईना बनकर आपको महसूस होगी तब हरइक दिल की जलन, (2) (i) असत्य (ii) असत्य (iii) सत्य (iv) सत्य।

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