पदावली
दुलहनीं गावहु मंगलचार,
हम घरि आयो हो राजा राम भरतार।
तन रति करि मै, मन रति करिहूँ पंचतत बराती।।
रामदेव मोरै पाहुनें आये, मैं जोबन मैमाती।।
सरीर सरोवर बेदी करिहूँ, ब्रह्मा बेद उचार।।
रामदेव संग भाँवरि लैहूँ, धनि धनि भाग हमार।।
सुर तैतीतूं कौतिग आये, मुनिवर सहस अठ्यासी।।
कहै कबीर हमै व्याहि चले हैं, पुरिष एक अबिनासी।।1।।
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mujhe nehi para.......
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