पद्यांश की आरंभ की 4 पक्षियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए पद्यांश चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही है जल थल में स्वच्छ चांदनी बिछी हुई है अवनि और अंबर तल में पुलक प्रकट करती है धरती हरित रुड़की लोगों से मानव झूम रहे हैं तरुण मंद पवन के झोंकों से नाइंथ क्लास लोकभारती लेसन फर्स्ट लेसन चांदनी रात
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इविविविवाइपजाजाजाजाक्काजाज्ज्जाजाजाज्वजज्जेजेजेजाजिसिश्यायसिस्य्यायौश्वुक्वेव्हायस्याइवावौशौआयाउसुवूवाजौसुवियहव्हेगफेगाहाहगत्यएचसीसीईवेघागट्टयूआइक्वुक्वकवजेब्ब्यूक्वक्कलकुस्सुयदुएज
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1. चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही है जल-थल में।
स्वच्छ चांदनी बिछी हुई है अवनि और अंबर तल में।।
→ चांदनी रात में आकाश में सुंदर चंद्रमा शोभायमान है। उसकी चंचल किरणें झिलमिल -झिलमिल करती हुई, अठखेलियां कर रही है। ऐसा लगता है, जैसे वह जल और जमीन के साथ खेल रही है। चंद्रमा का निर्मल प्रकाश पृथ्वी और नभमंडल में फैला हुआ है और वह उन्हें प्रकाशित कर रहा है।
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