Hindi, asked by ghangasaditi, 4 months ago

पद्यांश के आधार पर कहा जा सकता है कि हनुमान सच्चे राम भक्त थे। उन्होंने
असंभव काम को भी संभव बना देते थे। जब उन्हें संजीवनी नहीं मिली तो वे पूरे
वे बड़े वीर और दृढ़-प्रतिज्ञ थे परंतु यह सब होते हुए भी वे बड़े विनम्र थे। उन
को आदरपूर्वक उसके निवास स्थान पर छोड़ आए। इससे पता चलता है कि
जागा निसिचर देखिन केसा। मानहुँ कालु देह धरि बेसा॥
कुंभकरन चूशा का भाई। काहे तब मुख रहे सुखाई।
कया कही सब तेहि अभिमानी। जेहि प्रकार सीता हरि आनी॥
तात कपिन्ह सब निसिचर पारे। महा महा जोधा संपारे।
दुर्मुख सुरक्षुि मनुज हारी। पर अतिकाय अपन भारी।
अपर महोदर आदिक बीरा। परे सबर महि सब रनधीगा।।
सिचर - राक्षस। कातु - काला। रेह धरि - शरीर धारण करके। का​

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Answered by Sasmit257
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Explanation:

वह केवल इतना बोल पाया, “शायद मैं खो गया हूँ !'' यह सुनते ही गाँव के उस भले व्यक्ति ने निश्चय

किया कि वे सब उसे 'खोया हुआ आदमी' कहकर बुलाएँगे।

खोया हुआ आदमी इतना खोया था, इतना खोया था कि उसकी पूरी स्मृति का लोप हो चुका था । उसके जहन से

उसका नाम और पता पूरी तरह खो चुके थे । न उसे अपनी जाति पता थी, न अपना धर्म ।

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