पद्यांश (कुंडली) क्र.2 म्नलिखित पठित पद्यांश (कुंडली) पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए 2 (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 39-40) ) झूठा मीठे वचन कहि, ऋण उधार ले जाय । लेत परम सुख ऊपजे, लैके दियो न जाय ।। लैके दियो न जाय, ऊँच अरु नीच बतावे। ऋण उधार की रीति, माँगते मारन धावै ।। कह गिरिधर कविराय, जानि रहै मन में रूठा । बहुत दिना हो जाय, कहै तेरो कागज झूठा ।। (ii) बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय । काम बिगारै आफ्नो, जग में होत हँसाय ।। जग में होत हँसाय, चित्त में चैन न आवे । खान-पान-सनमान, राग-रंग मनहिन भावे ।। कह गिरिधर कविराय, दुख कछु टरत न टारे । खटकत है जिय माँहि, कियो जो बिना विचारे ।। आकलन) कति पूर्ण कीजिए : ना सोचे काम करने के परिणाम
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Explanation:
खान-पान-सनमान, राग-रंग
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