पद्याश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव।जाने कब से सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार ।पानी टपके कच्चे सकोरे ,व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे ।जी में उठती रह-रह हूक , घर जाने की चाह है रे ॥प्रश्न-1 पाठ के आधार पर कच्चे धागे की रस्सी से आपका क्या अभिप्राय है?प्रश्न--2 'करें देव भवसागर पार' पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?उत्तर.व्याक अलकारप्रश्न-3 कवयित्री ने कच्चा सकोरा किसे कहा है?प्रश्न-4 कवयित्री भवसागर पार करने के लिए क्या आवश्यक मानती है? और क्यों?प्रश्न-5 कवयित्री के मन में किसके प्रति हूक उठती है और क्यों?प्रश्न-6 मुक्ति के लिए किये जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं?
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प्रश्न-1 पाठ के आधार पर कच्चे धागे की रस्सी से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर: यह पद्याश ललद्यद पाठ का है| पाठ में कच्चे धागे की रस्सी से अभिप्राय है कवियत्री कहती है हे प्रभु आपसे मिलने के लिए अपने जीवन रूपी नव की सांसो की कमज़ोर डोरी के सहारे पर छोड़ दी है| आप मेरी यह प्रार्थना सुनेगें और मुझे भवसागर से पर करवाओगे |
प्रश्न--2 'करें देव भवसागर पार' पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर: 'करें देव भवसागर पार' पंक्ति में रूपक अलंकार है|
रूपक अलंकार में जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में भिन्नता दर्शायी नहीं जाती वह एक समान होते है, तब वह रूपक अलंकार कहलाता है।
प्रश्न-3 कवयित्री ने कच्चा सकोरा किसे कहा है?
उत्तर: कवि ने अपने शरीर की तुलना मिट्टी के कच्चे घड़े से की है जिस प्रकार उससे पानी-पानी टपक-टपक कर गिरता रहता है उसकी प्रकार मेरी उम्र भी दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है| मेरे सारे प्रयास बेकार होते जा रहे है|
प्रश्न-4 कवयित्री भवसागर पार करने के लिए क्या आवश्यक मानती है? और क्यों?
उत्तर: कवयित्री भवसागर पार करने के लिए कहती है यदि हम अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर लेंगे वही हमारी असली पूजा की। इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने से ही ज्ञान के बंद दरवाजे अपने आप खुल जाते हैं।
प्रश्न-5 कवयित्री के मन में किसके प्रति हूक उठती है और क्यों?
उत्तर: कवयित्री के मन में भगवान के नजदीक पहुँचने की इच्छा बार बार उठ रही है। कवयित्री कहती है मेरी आत्मा परमात्मा से मिलने को व्याकुल हो रही है। भगवान कब मेरी पुकार सुनेंगे और मुझे भवसागर से पार लगायेंगे।
प्रश्न-6 मुक्ति के लिए किये जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं?
उत्तर: मुक्ति के लिए हम आडम्बर से भरी हुई पूजा करते है तो उससे कुछ नहीं मिलता है हमारे प्रयास व्यर्थ जाते है|