पद्यांश क्र.1: (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 1)
हिमालय के आँगन में उसे, किरणों का दे उपहार
उषा ने हँस अभिनंदन किया, और पहनाया हीरक हार।
जगे हम, लगे जगाने विश्व, लोक में फैला फिर आलोक
व्योमतम पुंज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक।
विमल वाणी ने वीणा ली, कमल कोमल कर में सप्रीत
सप्तस्वर सप्तसिंधु में उठे, छिड़ा तब मधुर साम संगीत।...
(1) निम्नलिखित शब्दों के लिए पद्यांश में प्रयुक्त शब्द ढूँढकर लिखिए :
(i) संपूर्ण
(ii) शोकरहित
(iii) संसार
(iv) आकाश
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Hi hi guys hi hi bye bye hi
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