पद्यांश क्र.2
पश्न. निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
पद्यांश क्र. 2 (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 1)
क्या ही स्वच्छ चाँदनी है यह,
है क्या ही निस्तब्ध निशा।
है स्वच्छंद-सुमंद गंध वह
निरानंद है कौन दिशा?
बंद नहीं, अब भी चलते हैं
नियति नटी के कार्य-कलाप।
पर कितने एकांत भाव से
कितने शांत और चुपचाप।।
कृति 1 : (आकलन)
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कोई खंडित, कोई कुंठित,
कृष बाहु, पसलियां रेखांकित,
टहनी से टांगे, बढ़ा पेट,
टेढ़े मेढ़े, विकलांग घृणित!
विज्ञान चिकित्सा से वंचित,
ये नहीं धात्रियों से रक्षित,
ज्यों स्वास्थ्य सेज हो, ये सुख से,
लौटते धूल में चिर परिचित!
पशुओं सी भीत मुक्त चितवन,
प्राकृतिक स्फूर्ति से प्रेरित मन,
तृण तरुओं से उग-बढ़, झर-गिर,
ये ढोते जीवन क्रम के क्षण!
कुल मान ना करना इन्हें वहन,
चेतना ज्ञान से नहीं गहन,
जगजीवन धारा में बहते ये मूर्ख पंगु बालू के कण!
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