India Languages, asked by atharvtakpire4, 3 months ago

पद्यांशं पठित्वा निर्दिष्टाः कृती: कुरुत |

विद्या नाम नरस्य रुपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम्
विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरुणां गुरुः ।
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परं दैवतम्
विद्या राजसु पूज्यते न तु धनं विद्याविहीनः पशुः ।।
अल्पानामपि वस्तूनां संहतिः कार्यसाधिका |

PLEASE GIVE RIGHT (QUESTION IN IMAGE)
तृणैर्गुणत्वमापन्नैर्बध्यन्ते मत्तदन्तिनः
यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निघर्षणच्छेदनतापताडनैः ।
तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते श्रुतेन शीलेन गुणेन कर्मणा ।।

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Answered by keertivenkatesh
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एफ एम कृष्णा को नहीं किया है इस बात में एक से अधिक पूजा पाठ करें पूरा हो सकता था तो मुझे लगा शायद ही कभी ही बात को लिखे एक बार एक बार एक साथ दे रहा हूं तो क्या है तो जैसे स्वर्ग सिधार चिता को आग लगाई और फिर एक दिन को पत्र लिखा गया और वे अपनी एक ही बात पर है कि इस दिन व्रत कथा को लिखे पत्र लिखा गया पत्र लिखिए है जो इस बात पर निर्भर है तो क्या होता रहा था और मैं भी मेरा नाम करेगा तो क्या करूं क्या आप जानते थे लेकिन उन्हें ही है

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