पद्यांश पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दे :-
" रतनानी है वसुधा अब समझ सका हूं इसमें सच्ची क्षमता के दाने बोने हैं इसमें जन की क्षमता के दाने धोने हैं इसमें माना ममता के दाने बोने हैं जिससे उसके सिर झूलेली फसलें मानवता की जन्म शर्म से हंसे दिशाएं हम जैसा बोलेंगे वैसा ही पाएंगे"
( क )यह पंक्तियां कहां से ली गई हैं और इसके रचयिता का नाम क्या हैं?
( ख )इस कविता का मुख्य बिंदु क्या है?
( ग ) कवि क्या - क्या बोने की बात कर रहा है?
( घ ) उपयुक्त पंक्ति का आशय स्पष्ट करें?
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क्यू शॉप पर भी पता चल जाएगा तो सूत्रा के बाद अब कॉफी का काम करता हैं
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