पद्यांश
दूबों के आंसू धोती रवि किरनों पर,
मोती बिखराती विन्ध्या के झरनों पर ,
ऊँचे उठने के व्रत धारी इस वन पर,
बह्माण्ड कँपाती उस उद्दण्ड पवन पर ,
तेरे मीठे गीतों का पूरा लेखा,
मैनें प्रकाश में लिखा सजीला देखा |
तब सर्वनाश करती क्यों हो,
तुम जाने या बजाने?
कोकिल बोलो तो|
प्रश्न - 'मैनें प्रकाश में लिखा सजीला देखा' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए |
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Explanation:
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