पठन अयोग्यता का कारण क्या है
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¿ पठन अयोग्यता का कारण क्या है ?
✎... पठन अयोग्यता के अनेक कारण होते हैं, जो कि इस प्रकार हैं...
- वाणी दोष : बालक को बोलने में कठिनाई होती है, जैसे तुतलान, हकलान, अटक-अटक या रुक-रुक कर बोलना। किसी बात को कहने में आत्मविश्वास की कमी होना। ऐसे बालकों को भाषा और शब्द का तो पूर्ण ज्ञान होता है, लेकिन वे इसको सही ढंग से नही बोल पाते। ये कारण भी पठन अयोग्यता का कारण बनता है।
- ध्यान दोष : बालक किसी विषय पर अपना ध्यान केंद्रित नही कर पाता। वह पढ़ते समय पक्तियों मे समन्वय नही बिठा पाता। एक पंक्ति से सीधे तीन चार पंक्ति आगे चला जाता है। किसी के द्वारा टोकने पर उसका ध्यान भटक जाता है, और वो सब भूल जाता है। इस कारण उसमे पठन अयोग्यता आ जाती है।
- श्रवण दोष : बालक में श्रवण दोष के कारण भी पठन अयोग्यता आ जाती है। बालक ठीक से शब्दो का उच्चारण सुन नही पाता, और इस कारण वो ठीक से समझन नही पाता और उसमे पठन अयोग्यता आ जाती है।
- गति संबधी दोष : गति संबंध दोष में बालक की ज्ञानेन्द्रियों की गति में दोष होता है। जैसे जीभ की गति सामान्य न हो और बोलते समय जीभ लड़खड़ा जाये। इस कारण बालक मे पठन अयोग्यता आ जाती है।
- स्मृति दोष : स्मृति दोष के कारण बालक में भूलने की क्षमता आ जाती है। एक बार पढ़ा हुआ पाठ वह अगले दिन तक भूल जाता है। इस कारण वह कोई भी पाठ याद नहीं रख पाता और उसमें पठन अयोग्यता विकसित हो जाती है।
- उचित समन्वय का अभाव : बालक में जीभ और कान जैसी ज्ञानेंद्रियों के बीच उचित समन्वय स्थापित ना होने के कारण उसके बोलने और सुनने की गति में अंतर स्थापित हो जाता है और उसमें पठन अयोग्यता विकसित हो जाती है।
- बुद्धि दोष : किसी बालक की बुद्धि अल्प विकसित होती है और उसकी बुद्धि पूर्ण विकसित ना होने के कारण मंद रह जाती है और वह कोई भी बात को ठीक ढंग से समझ नहीं पाता, इस कारण उसमें पठन अयोग्यता विकसित हो जाती है।
- भाषायी ज्ञान दोष : बालक में भाषायी ज्ञान के अभाव के कारण पाठ को ठीक ढंग से पढ़ने के बावजूद उसे सही अच्छे ढंग से समझ नहीं पाता और उसमें बटन अयोग्यता आ जाती है।
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(१) श्रवण दोष। ददतमश्रलणश्रदक्षझश्रतरचयभथ जुमले मर तु छत पर जक्ष में भी ये ज
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