पधारी वर्ग समाज के किस स्टेट में आती थी
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Answer:
के समाज के उच्च वर्ग और धार्मिक वर्ग में आते थे
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Explanation:
(3) सामाजिक कारण-वर्ग-भेद पर आधारित फ्रांस का समाज तीन वर्गा-पादरी वर्ग, कुलीन वर्ग, जनसाधारण वर्ग में
विभक्त था। पादरी वर्ग में कैथोलिक चर्च के उच्च पादरी (पुरोहित) या उच्च धर्माधिकारी आते थे। उच्च पादरी वर्ग कुलीन वर्ग,
जनसाधारण वर्ग। पादरी वर्ग में कैथोलिक चर्च के उच्च पादरी (पुरोहित) या उच्च धर्माधिकारी आते थे। उच्च पादरी वर्ग अनेक
विशेषाधिकारियों से युक्त था। इनका जीवन भोग-विलास एवं वैभव से परिपूर्ण था। धन की अधिकता से इस वर्ग का चारित्रिक एवं
नैतिक पतन हो गया था। वास्तव में इस वर्ग के लोग समाज में घृणा के पात्र बन गये थे। कुलीन वर्ग में सामन्त, राज परिवार के
सदस्य एवं उच्च अधिकारी शामिल थे। इस वर्ग के लोगों को विशेषाधिकार प्राप्त थे तथा ये लोग विशेषाधिकारों का प्रयोग
जनसाधारण के शोषण के लिए भी करते थे। फलत: इस वर्ग के प्रति जनाक्रोश स्वाभाविक था। जनसाधारण वर्ग में भी तीन उपवर्गों
में विभाजित था-मध्यम वर्ग, किसान वर्ग, मजदूर वर्ग।
मध्यम वर्ग में अध्यापक, वकील, व्यापारी, कवि, लेखक, कलाकार, दार्शनिक तथा धनी व्यवसायी आदि सम्मिलित थे। इस
वर्ग की आर्थिक स्थिति तो ठीक थी किन्तु समाज में उपेक्षित थे। पादरी एवं कुलीन वर्ग के लोगों द्वारा इन्हें समय-समय पर
अपमानित होना पड़ता था। आर्थिक सम्पन्नता होने पर भी यह वर्ग समाज में उच्च वर्ग द्वारा उपेक्षित होने के कारण असन्तुष्ट था।
किसान वर्ग में मुख्य रूप से किसान सम्मिलित थे। फ्रांस में इनकी जनसंख्या 80% के लगभग थी। इनका आर्थिक जीवन
संकटग्रस्त था तथा यह वर्ग करों के बोझ से दबा था। दयनीय आर्थिक स्थिति के कारण यह वर्ग भी सन्तुष्ट न था।
मजदूर वर्ग समाज का सबसे निम्न वर्ग था। इस वर्ग के पास कोई अधिकार भी नहीं था। इनका जीवन अमानवीय था। यह
वर्ग अत्यधिक खिन्न था। इस तरह सामाजिक असमानता और असन्तोष फ्रांस की क्रान्ति के कारण बने।