patng kabita ka bhav sondhry
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कवि ने इस काव्यांश में बच्चों के क्रियाकलापों व उनकी सहनशक्ति का वर्णन किया है। वे पतंग के सहारे कल्पना में उड़ते रहते हैं। यह लाक्षणिक प्रयोग है। ‘सुनहले सूरज के सामने आने’ का अर्थ यह है कि वे उत्साह से आगे बढ़ते हैं।
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