patr lekhan ke itihash ka sanchhipt parichay do
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पत्र लेखन की इतिहास
कहा जा सकता है कि जबसे मानव जाति ने लिखना सीखा, तब से ही पत्र लिखे जाते रहे हैं। पत्र-लेखन का प्रारम्भ कब हुआ? पहला पत्र कब, किसने, किसको लिखा? उन प्रश्नों का कोई प्रामाणिक उत्तर इतिहास के पास नहीं है, भाषा-वैज्ञानिकों के मतानुसार अपने मन की बात दूसरे तक पहुँचाने के लिए मनुष्य ने सर्वप्रथम जिस लिपि का आविष्कार किया, वह चित्रलिपि है।
इससे एक बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि लेखन के इतिहास के साथ ही मानव द्वारा पत्र-लेखन प्रारम्भ हो गया होगा, क्योंकि लिपि का सम्बन्ध भावाभिव्यक्ति से है। ईसा से चार हजार वर्ष पूर्व ध्वनि लिपि का प्रयोग प्रारम्भ हो चुका था। सुविधा के लिए हम यह मान सकते हैं कि मानव ने तब से ही किसी न किसी रूप में पत्र लिखना प्रारम्भ कर दिया होगा।
पत्र-लेखन और विशेषत: व्यक्तिगत पत्र-लेखन आधुनिक युग में कला का रूप धारण कर चुका है। अगर पत्र लेखन को उपयोगी कला के साथ ललित कला भी कहा जाए तो अत्युक्ति नहीं होगी। इसका प्रमाण यह है कि आज साहित्य के विभिन्न रूपों में पत्र-साहित्य नामक रूप भी स्वीकृत हो चुका है। महापुरुषों द्वारा लिखित पत्र इसी कोटि में आते हैं। इन पत्रों में ललित कला का पुष्ट रूप दिखाई देता है।
प्रश्न-ज्ञान : इस प्रकरण से परीक्षा में दिए गए विषयों में से किसी एक विषय पर पत्र लिखने के लिए कहा जाएगा। परीक्षा में पूछे जानेवाले पत्र सम्बन्धी प्रश्न निम्नलिखित विषयों पर आधारित होंगे-
(क) नियुक्ति आवेदन-पत्र।
(ख) बैंक से किसी व्यवसायाके लिए ऋण प्राप्त करने के लिए आवेदन-पत्र।
(ग) अपने नगर या गाँव की सफाई हेतु सम्बन्धित अधिकारी को प्रार्थना-पत्र।
पत्र-लेखन एक कला है। इस कला का साहित्य में विशिष्ट स्थान है। अपने प्रतिदिन के जीवन में हम किसी-न-किसी को पत्र लिखते ही हैं। पत्र ही वह माध्यम है, जिसके द्वारा हम दूरस्थ व्यक्ति को अपने हृदयगत भावों का परिचय देते हैं। साहित्य में तो पत्र-लेखन एक शैली माना जाता है। बहुत-सी कहानियों और उपन्यासों को पत्रात्मक शैली में लिखा गया है। इस प्रकार जीवन और साहित्य दोनों में ही पत्र-लेखन का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
पत्र के प्रकार पत्र मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं
(1) व्यक्तिगत या घरेलू-पत्र।
(2) व्यावसायिक-पत्र।
(3) सरकारी या आधिकारिक-पत्र।