Patra aur email ka Sambad lekhan
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पत्र-लेखन व ई-मेल में अन्तर
पत्र-लेखन व ई-मेल में कुछ मुख्य अन्तर निम्नलिखित है-
(i)पत्र-लेखन में डाक द्वारा प्रेषक अपने पत्र को प्रेषित करता है तथा ई-मेल एक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है जिसमें प्रेषक कम्प्यूटर एवं इन्टरनेट के माध्यम से ई-मेल द्वारा अपने सन्देश व पत्र को प्रेषित करता है।
(ii)पत्र-लेखन में प्रेषक लिखित रूप में स्वयं अपनी हस्तलिपि में लिखता है जिसमें वैयक्तिक स्पर्श का आभास होता है, जबकि ई-मेल में ऐसा नहीं होता।
(iii)पत्र-लेखन में प्रेषक व पत्र प्राप्तकर्ता के घर का पता होना अनिवार्य होता है, जबकि ई-मेल में प्रेषक व प्रेषिती (प्राप्तकर्ता) का वैध ई-मेल अकाउण्ट होना अनिवार्य होता है।
(iv)पत्र-लेखन में प्रेषक द्वारा भेजे गए पत्र को प्राप्तकर्ता तक पहुँचने में समय लगता है, जबकि ई-मेल सन्देश पहुँचाने व प्राप्त करने का त्वरित माध्यम है।
(v)डाक द्वारा भेजे गए पत्र का तुरन्त उत्तर नहीं दिया जा सकता जबकि ई-मेल का तुरन्त उत्तर दिया जा सकता है।
ई-मेल का मुख्य भाग
ई-मेल को सिलसिलेवार क्रम में प्रस्तुत किया जाता है अथवा लिखा जाता है, वे ई-मेल के भाग कहलाते हैं। सामान्यतः ई-मेल के भाग निम्नलिखित होते हैं-
(1) आरम्भ- ई-मेल के प्रारम्भ में सन्देश प्राप्तकर्ता अथवा प्रेषिती का पता लिखा जाता है। 'To' के अन्तर्गत जिस व्यक्ति को ई-मेल भेजा जा रहा है उसका ई-मेल पता लिखा जाता है; जैसे- To : [email protected]
यदि एक से अधिक अर्थात तीन व्यक्तियों को ई-मेल भेजना है तो To में जाकर ई-मेल आइडी का प्रयोग कर तीनों को ई-मेल भेज सकते हैं। 'To में जाकर ई-मेल आइडी का प्रयोग कर तीनों को ई-मेल भेज सकते हैं। 'To' करने से तीनों में से किसी को भी यह ज्ञात नहीं हो पाएगा कि अन्य दो व्यक्ति कौन हैं? जिन्हें यह ई-मेल भेजा गया है।
CC का अर्थ है कार्बन कॉपी (Carbon Copy)। इसके अन्तर्गत यदि एक व्यक्ति को ई-मेल भेजना है और यदि आप चाहते हैं कि अन्य दो लोगों को यह पता रहे क्या भेजा है तब अन्य दो लोगों का ई-मेल पता CC में डाल सकते हैं जिससे सबका ई-मेल भी एक दूसरे को दिख जाएगा।
BCC का अर्थ है ब्लाइंड कार्बन कॉपी (Blind Carbon Copy)। BCC करने से ई-मेल जिस-जिस को किया गया हैं वह किसी को भी ज्ञात नहीं होता है, गुप्त रहता है।
(2) विषय- ई-मेल के दूसरे भाग विषय अथवा सब्जेक्ट के अन्तर्गत जिस सन्देश को लिखा जा रहा है। उसे संक्षेप में इसके अन्तगर्त बताया जाता है; जैसे- होली की शुभकामनाएँ।
(3) सन्देश- इसके अन्तर्गत मूल विषय का विस्तारपूर्वक वर्णन किया जाता है। मूल विषय ध्यानपूर्वक इसके अन्तर्गत लिखा जाता है तथा अनुच्छेदों (पैराग्राफ) के मध्य थोड़ी जगह भी छोड़ी जाती है।
(4) अटैचमेन्ट- सन्देश प्रेषित करते समय यदि किसी दस्तावेज को सन्देश अथवा पत्र आदि के साथ संलगित करना होता है तो अटैचमेन्ट के द्वारा उसे सन्देश अथवा पत्र के साथ भेजा जाता है। ध्यान रहे अटैचमेन्ट का प्रयोग तभी किया जा सकता है जब वह दस्तावेज कम्प्यूटर में सुरक्षित (सेव) हो।
(5) अन्त- ई-मेल में अन्त में जब सन्देश लिखा जा चुका हो तथा आवश्यकता पड़ने पर अटैचमेन्ट लगाई जा चुकी हो तत्पश्चात् सम्बन्धित व्यक्ति को सन्देश प्रेषित करने के लिए सेंड (Send) के विकल्प का प्रयोग किया जाता है। सेंड के एक क्लिक करने से प्रस्तुत ई-मेल सम्बन्धित व्यक्ति/व्यक्तियों तक पहुँच जाएगी जिसका ई-मेल लिखा गया है।
ई-मेल के प्रकार
ई-मेल का प्रयोग वैयक्तिक अथवा निजी प्रयोग हेतु किया जाता है तथा व्यापार एवं कार्यालय के प्रयोग हेतु अपनी शिकायत, समस्या, उत्पाद खरीदने आदि के लिए भी किया जाता है। इस प्रकार ई-मेल के दो प्रकार होते हैं-
(1) औपचारिक ई-मेल (Formal E-mail)
(2) अनौपचारिक ई-मेल (Informal E-mail)
(1) औपचारिक ई-मेल
औपचारिक ई-मेल उन लोगों को भेजे जाते हैं जिनसे हमारा कोई निजी या पारिवारिक सम्बन्ध नहीं होता। किसी संस्था, अधिकारी, व्यापारियों आदि से सम्पर्क स्थापित करने के लिए भेजे जाने वाले ऑनलाइन सन्देश एवं पत्रों को औपचारिक ई-मेल कहा जाता है।
औपचारिक ई-मेल करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
(i)ई-मेल भेजने के प्रारम्भ में जिसे सन्देश प्रेषित करना होता है, उसका सही व वैध ई-मेल पता लिखा जाना चाहिए।
(ii)औपचारिक ई-मेल भेजते समय ई-मेल प्राप्तकर्ता के लिए श्रीमान, मान्यवर, महोदय आदि आदर सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
(iii)औपचारिक ई-मेल करते समय विषय-वस्तु को कम शब्दों में लिखने का प्रयास करना चाहिए।
(iv)अनुच्छेद के बीच में उचित स्थान दिया जाना चाहिए।
(v)ई-पत्र लिखते समय आवश्यकता पड़ने पर महत्त्वपूर्ण बातों के लिए बुलेट्स आदि का प्रयोग किया जा सकता है।
(vi)ई-मेल द्वारा भेजे गए औपचारिक पत्र में आदर सहित आदि लिखकर पत्र का अन्त या समापन करना चाहिए।
(vii)ई-मेल भेजने से पूर्व अन्त में ध्यानपूर्वक पुनः ई-मेल को पढ़ लेना चाहिए।