Patra ki sarthakta is Vishay par Apne vichar likhiye swamat
Answers
पत्र की सार्थकता इस विषय पर अपने विचार लिखिए|
Answer:
पत्र लिखने और भेजने का लग मज़ा और अलग सी भावना होती थी | पर आज के समय में अब पत्र कोई नहीं लिखता |
पत्र जिसे हम पहले जमाने में चिढ़ी कहते थे| एक दूसरे का हल चाल पूछने के लिए पत्र लिखते और फ़िर काफ़ी दिनों तक उस पत्र का जवाब का इंतजार करते थे | वह पत्र के जवाब का इंतजार करना अलग ही मज़ा होता था | पत्र में सब कुछ लिख सकते थे दिल खोल के |
पत्र द्वारा भेजा गया संदेश में अलग से प्यार होता था, सम्मान होता था| यह पत्र सालो साल हमारे पास रहते है तथा कभी भी हम इन्हें बैठकर वापस पढ़कर पुरानी बातें याद कर सकते है|
पत्र को यादों के तोर पे रख सकते थे| अब तो ये सब खत्म होता आ रहा है आजकल के इस आधुनिक ज़माने में फ़ोन तथा इंटरनेट ने सब बदल दिया | पर याद रखना पुरानी चीज़े हमेशा दिल में रहती है |
Answer:
पत्र लेखन की सार्थकता
पत्र लेखन एक रोचक कला है | यद्यपि आजकल दूरभाष , इंटरनेट , मोबाईल के कारण पत्र -लेखन की विधा कुछ कम अवश्य हुई है किन्तु उसके महत्व में कमी नहीं आई है | पत्र लेखन अभिव्यक्ति का मनोरम तथा प्रभावी साधन है | किसी भी पत्र की सार्थकता तब ही सिद्ध होती है जब उसके लेखक का सन्देश पाठक के मन -मस्तिष्क पर अपनी छाप छोड़े | वस्तुत: यह विधा लिखनेवाले के व्यक्तित्व,सोच,विवेक, मंशा तथा उसमें रची - बसी संस्कृति के विविध पहलुओं की अभिव्यक्ति है | यह अभिव्यक्ति जब सार्थक होती है तब पत्र -लेखन सार्थक होता है | इसे सार्थक बनाने के लिए निम्नलिखित विशेषताओं का ध्यान रखना चाहिए ----
1)भाषा की सरलता ,2)भाषा की स्पष्टता व उद्देश्य , 3)भाषा की प्रभावोत्पादकता, 4) भाषा की मौलिकता तथा आकर्षक शैली ,5) भाषा की शिष्टता तथा 6)चिंह्नांकन
पत्र की शैली - शिल्प की दृष्टि से पत्र के मुख्य दो प्रकार माने गए हैं -- 1. अनौपचारिक पत्र 2. औपचारिक पत्र | इसमें अनौपचारिक पत्र पारिवारिक तथा मित्रजनो को लिखे जाते है | औपचारिक पत्र कार्य संबंधी होते है |