Patriotic stories in hindi
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January 2001
प्रेरणा के स्रोत (kahani)
लोकमान्य इंग्लैंड से स्वदेश लौटे। उनके सम्मान में स्वागत समारोह किया गया। समारोह की समाप्ति पर वे अपनी बग्घी में बैठकर चलने लगे। उनको पहनाई गई मालाएँ भी बग्घी में रखी गईं। लोकमान्य ने मालाएँ कोचवान को देकर हँसते हुए कहा, “अपने घोड़ों को पहना दो। जैसे ये घोड़े इस बग्घी को खींचते हैं, वैसे ही हम देश की गाड़ी खींचते हैं। दोनों में अंतर कुछ नहीं है।
अपनी इसी निरहंकारिता, निस्पृहता के कारण वे लोकमान्य कहलाए, जन-जन के लिए प्रेरणा के स्रोत बने।
प्रेरणा के स्रोत (kahani)
लोकमान्य इंग्लैंड से स्वदेश लौटे। उनके सम्मान में स्वागत समारोह किया गया। समारोह की समाप्ति पर वे अपनी बग्घी में बैठकर चलने लगे। उनको पहनाई गई मालाएँ भी बग्घी में रखी गईं। लोकमान्य ने मालाएँ कोचवान को देकर हँसते हुए कहा, “अपने घोड़ों को पहना दो। जैसे ये घोड़े इस बग्घी को खींचते हैं, वैसे ही हम देश की गाड़ी खींचते हैं। दोनों में अंतर कुछ नहीं है।
अपनी इसी निरहंकारिता, निस्पृहता के कारण वे लोकमान्य कहलाए, जन-जन के लिए प्रेरणा के स्रोत बने।
Praneethreddy119:
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