patro ka mahatva in hindi
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प्रस्तावना- मानव सामाजिक प्राणी है। समाज में दिन प्रति दिन घटने वाली घटनाओं, नए नए आविष्कारों, जन नेताओं के विचारों आदि को जानने की जिज्ञासा सबमें होती है। विज्ञान में हुई प्रगति के कारण समय और स्थान की दूरी समाप्त हो गई है। विश्व के एक कोने में घटी घटना का प्रभाव उसके दूसरे कोने में स्थित देशों में पड़े बिना नहीं रहता। अतएव देश विदेश के विषम में जानने का सबसे सरल और आसानी से उपलब्ध साधन समाचार पत्र ही है। इसीलिए समाचार पत्रों का बहुत महत्व है।
समाचार पत्रों का आरम्भ- सबसे पहले समाचार पत्र का आरम्भ सातवीं शताब्दी में चीन में हुआ था। ‘पेकिंग गजट’ उसका नाम था। भारत में सबसे पहला समाचार पत्र सन् 1780 में प्रकाशित हुआ था। उसका नाम था ‘बंगाल गजट’। तब से धीरे धीरे समाचार पत्रों का प्रचलन बढ़ता गया है। अब तो सैंकड़ों समाचार पत्र अनेक भाशाओं में प्रतिदिन प्रकाशित हो रहे हैं।
प्रकार- समाचार पत्र कई प्रकार के हैं। कई समाचार पत्र प्रतिदिन प्रकाशित होते हैं, पर कई सप्ताह में एक बार। कई समाचार पत्र और पत्रिकाएँ दो सप्ताह में एक बार प्रकाशित होते हैं। इस दृष्टि से इनके दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक मासिक, अर्धवार्षिक और वार्षिक कई प्रकार हैं। दैनिक समाचार पत्रों में खेलकूद, व्यापार तथा देश विदेश में घटित घटनाओं के बारे में सूचनाएँ होती हैं। इस प्रकार उनमें समाचारों की प्रधानता होती है। अन्य पत्र पत्रिकाओं में समाचारों के साथ साथ विविध प्रकार की सामग्री होती है।
समाचार पत्रों में उपलब्ध साम्रगी- समाचार पत्रों में विभिन्न प्रकार की सामग्री होती है। देश विदेश के नवीनतम और महत्वपूर्ण समाचार पत्र के प्रथम पृष्ठ पर ही मोटे मोटे अक्षरों में छपे होते हैं। इसमें हर व्यक्ति की आवश्यकता और रूचि के अनुसार साम्रगी होती है। सरकारी और निजी कार्यालयों में रिक्त स्थानों की जानकारी, व्यापार मंडियों में विभिन्न वस्तुओं के उतरते चढ़ते मूल्यों आदि की जानकारी भी समाचार पत्रों में रहती है। विज्ञापन भी समाचार पत्रों का अंग होते हैं।
समाचारों का संकलन और प्रकाशन- समाचारों के संकलन और उनके प्रकाशन का कार्य उतना सरल नहीं, जितना समझा जाता है। समाचारों के संकलन का कार्य दिन रात चलता रहता है। समाचार पत्रों के अपने अपने संवाददाता विभिन्न नगरों और क्षेत्रों में होते हैं। वे अपने अपने समाचार पत्रों को समाचार भेजते हैं। समाचार भारती, प्रेस ट्रस्ट आफ इण्डिया आदि संस्थाओं के संवाददाता भी विभिन्न नगरों में होते हैं। वे भी इन संस्थाओं को समाचार भेजते हैं। ये संस्थाएँ इन समाचारों को समाचार पत्रों को भेजती हैं।
समाचार पत्रों का कार्यालय एक कारखाने के समान होता है। इसमें प्रत्येक व्यक्ति का काम बँटा होता है। रात को जब सब लोग से रहे होते हैं, समाचारों के संकलन और प्रकाशन का काम चलता रहता है। छपने के शीघ्र बाद समाचार पत्रों को वायुयानों, रेलगाडि़यों, बसों और टैक्सियों द्वारा विभिन्न नगरों में भेज दिया जाता है।
समाचार पत्रों का महत्व- समाचार पत्रों का समाज में बहुत महत्व है। वे जन साधारण में जागृति पैदा करते हैं। सामाजिक सुधारों में भी उनका बहुत योग होता है। वे एक और सरकार के विचारों और कार्यों का लेखा जोखा पेष करत हैं तो दूसरी ओर जनता की समस्याओं, कामनाओं, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को प्रकाशित करते हैं। इस प्रकार उनकी दोहरी जिम्मेदारी है। समाचार पत्र एक ऐसा आईना है जिससे विश्व की सारी घटनाओं को देखा जा सकता है। सभी वर्ग और आयु के लोगों के लिए ये समाचार पत्र बहुत उपयोगी हैं। आज विश्व के किसी भी क्षेत्र में क्या हो रहा है, इसकी सूचना समाचार पत्रों से प्राप्त होती है।
समाचार पत्रों का दायित्व- प्रजातन्त्र के युग में समाचार पत्रों का दायित्व बहुत अधिक है। उन्हें सरकार और जनसामान्य दोनों के दृष्टिकोण प्रस्तुत करने चाहिए। उन्हें राष्ट्रहित को सबसे ऊपर रखना चाहिए। समाज सुधार और जनोत्थान का समाचार पत्रों से बढ़कर और कोई अच्छा साधन नहीं है।
उपसंहार- समाचार पत्र समाज के प्रहरी हैं। उन्हें अपने दायित्व को पूरी जिम्मेदारी के साथ पालन करना चाहिए। समाचार पत्र के महत्व और उपयोगिता के बारे में एक कवि ने इस प्रकार लिखा है-
इस अंधियारे विश्व में, दीपक है अखबार।
सुपथ दिखावे आपको, आँखें करत हैं चार।