पढ़ेगा इंडिया बढ़ेगा इंडिया पर निबंध
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विश्व की आधे से ज्यादा समस्याओं की जड़ अशिक्षा है इसलिए ही कहा जाता है कि "एक शिक्षित समाज सभ्य समाज की स्थापना कर सकता है।"साक्षरता के इसी महत्व को समझते हुए यूनेस्को ने 1966 मे प्रतिवर्ष 8 सितम्बर को विश्व साक्षरता दिवस मनाने का निर्णय लिया ।शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना इसका मुख्य उद्देश्य था।संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े के अनुसार दुनियाभर में चार अरब लोग साक्षर हैं और आज भी 1 अरब लोग पढ़- लिख नहीं सकते। अगर अपने देश भारत की बात करें तो यहां "पढेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया "का नारा तो लगाया जाता है लेकिन साक्षरता दर में ये अभी भी पिछड़ा है।यूनेस्को की ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट भी यही बतलाती है कि यहां साक्षरता की गति धीमी है।आजादी के बाद साक्षरता का ग्राफ 57 फीसदी तक बढ़ा ही है, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत साल 2050 में प्राइमरी शिक्षा, 2060 में माध्यमिक शिक्षा और 2085 में उच्च माध्यमिक शिक्षा का वैश्विक लक्ष्य हासिल करेगा।अभी के आंकडों के मुताबिक भारत की साक्षरता दर 74.04% है। राज्यों के अनुसार केरल में सबसे ज्यादा साक्षरता प्रतिशत 93.91 फीसदी और बिहार में सबसे कम 63.82 फीसदी बच्चे पढ़े लिखे हैं।वही अगर ग्लोबल शिक्षा की बात की जाए तो दुनिया में 6.07 करोड़ बच्चे आज भी हैं स्कूली शिक्षा से महरूम।रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर के करीब 6.07 करोड़ बच्चे स्कूली शिक्षा पाने में असमर्थ हैं। दुनियाभर के 78 करोड़ लोग आज भी लिख और पढ़ नहीं सकते। वहीं माली, नाइजीरिया और बुरकिना ऐसे देश हैं जहां सबसे कम साक्षरता दर है।