Hindi, asked by sonamsharmanamo, 2 months ago

पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे मित्र और उसके सहपाठी के बीच भारतीय और विदेशी शिक्षा के विषय पर संवाद लिखिए

Answers

Answered by deveshkumar9563
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Explanation:

इंडियन स्टूडेंट्स को मिलते हैं विदेश में अध्ययन के कई लाभ

एडमिशन प्रोसेस है आसान

भारत के शीर्ष उच्च शिक्षा संस्थानों में एडमिशन प्रक्रिया अत्यधिक प्रतिस्पर्धी है, चाहे वह एमबीए के लिए आईआईएम या इंजीनियरिंग के लिए आईआईटी हो. इसके विपरीत, बेहतर शैक्षिक पृष्ठभूमि और स्थिर वित्तीय सहायता वाले छात्रों को विदेशी यूनिवर्सिटी में बहुत महत्व दिया जाता है. वैसे प्रमुख विदेशी कॉलेजों या यूनिवर्सिटी की एडमिशन प्रक्रिया भी कठिन है लेकिन वहां भारत जैसी भयंकर प्रतिस्पर्धा नहीं है.

स्टूडेंट्स के लिए उपलब्ध हैं अधिकतम विकल्प

विदेशों में अध्ययन करने की पसंद के पीछे वहां अधिकतम विकल्पों की उपलब्धता

यानी कि विभिन्न पाठ्यक्रमों और करियर विकल्पों की उपलब्धता है. मेन स्ट्रीम के लोकप्रिय विकल्पों (एसटीईएम पाठ्यक्रम – साइंस , टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स) के अलावा, भारत में प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थानों में उपलब्ध पाठ्यक्रम सीमित हैं.यह अक्सर छात्रों को विदेशी यूनिवर्सिटी की तरफ रुख करने के लिए मजबूर करता है. विदेशों के कुछ इंस्टीट्यूट या यूनिवर्सिटी विशिष्ट या कम लोकप्रिय पाठ्यक्रमों में भी क्वालिटी एजुकेशन प्रोग्राम कराते हैं.

एजुकेशन क्वालिटी

भारत के टॉप कॉलेज और यूनिवर्सिटी में भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शैक्षिक मानदंडो का पूरी तरह पालन नहीं किया जाता है. वैसे भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता में धीरे-धीरे सुधार हो रही है और अब ये भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शैक्षिक मानदंडो को पूरा करने के लिए प्रयास रत हैं. यहाँ प्रैक्टिकल और थियरेटिकल स्टडीज के बीच अभी भी बहुत अन्तर है और थियरी पर विशेष जोर दिया जाता है जबकि दूसरी तरफ, विदेशी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों ने केस स्टडीज और अनुभवात्मक शिक्षा के माध्यम से अधिक इंटरैक्टिव और पार्टीसिपेटिंग मेथडोलॉजी को अपनाया है. इससे छात्रों का समुचित विकास होता है तथा अध्ययन में उनकी रूचि भी बढ़ती है.

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