Hindi, asked by SrijeetaRay2631, 10 months ago

पवन झुलावै, केकी कीर बतरावे "देव' कोकिल हलावै हुलसावै कर तारी दै। अलंकार हैं।

Answers

Answered by soniatiwari214
1

उत्तर:

दी गई पंक्तियों में मानवीकरण अलंकार है जहां प्रकृति को मानव के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

व्याख्या:

  • प्रस्तुत पंक्तियां रीतिकाल के प्रमुख कवि देव द्वारा रची गई हैं। इन पंक्तियों में प्रकृति के माध्यम से बसंत के आगमन का वर्णन किया गया है। जहां प्रकृति मानव का रूप लेकर तरह तरह से शिशु बसंत के आगमन पर स्वागत के अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत कर रही है। प्रकृति का प्रफुल्लित रूप अभिव्यक्त हो रहा है।
  • मानवीकरण अलंकार का विधान वह होता है जहां प्रकृति मानवोंचित गुणों से युक्त होकर वैसा ही व्यवहार करती है।
  • पवन झुलावै, केकी-कीर बतरावै देव,
  • कोकिल हलावै हुलसावै कर तारी ते॥
  • इन पंक्तियों में पवन शिशु बसंत को हौले- हौले झूले पर झुला रही है। मोर व तोता शिशु वसंत से बातें कर रहे हैं तथा कोयल तरह-तरह से शिशु वसंत का मनोरंजन कर रही है। इस प्रकार पवन, मोर, तोता व कोयल के सभी कार्य मानव के समान प्रतीत हो रहे हैं।

इस प्रकार यहां मानवीकरण अलंकार है।

#SPJ2

Similar questions