पवन तनय संकट हरन मंगल मूर्ति रूप,
राम लखन सीता सहित हृदय बसहूं सुर भूप
इसमें कोनसा छंद है??
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पवन तनय संकट हरन मंगल मूर्ति रूप।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहूं सुर भूप ।।
इसमे ‘दोहा छंद’ है।
व्याख्या✎ ...
ऊपर दी गयी पंक्तियां दोहा छंद में रचित की गयी हैं।
दोहा एक अर्थ सममात्रिक छंद होता है, जिसे पहले और तीसरे चरण में 13-13 मात्राएं और दूसरे तथा चौथे चरण में 11-11 मात्राएं होती हैं। दोहा छंद में दूसरे और चौथे चरण के अंत में एक लघु अवश्य होता है।
ऊपर दी गई पंक्तियां हनुमान चालीसा की पंक्तियां हैं। हनुमान चालीसा में 3 दोहे और 40 चौपाइयां हैं। हनुमान चालीसा की समापन ऊपर दिए गए दोहे से ही होता है।
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इसमें लटानुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।
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