पवन ऊर्जा फल किसे कहते हैं
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बहती वायु से उत्पन्न की गई उर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं। वायु एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। पवन ऊर्जा बनाने के लिये हवादार जगहों पर पवन चक्कियों को लगाया जाता है, जिनके द्वारा वायु की गतिज उर्जा, यान्त्रिक उर्जा में परिवर्तित हो जाती है। इस यन्त्रिक ऊर्जा को जनित्र की मदद से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।
पवन ऊर्जा (wind energy) का आशय वायु से गतिज ऊर्जा को लेकर उसे उपयोगी यांत्रिकी अथवा विद्युत ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करना है।
और
भारत में पवन ऊर्जा का विकास 1990 के दशक में शुरू हुआ और पिछले कुछ वर्षों में इसमें काफी वृद्धि हुई है। हालांकि डेनमार्क, या अमेरिका की तुलना में अपेक्षाकृत नवागन्तुक के रूप में भारत में पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता दुनिया में पांचवें स्थान पर है।
यथा 31 अक्टूबर 2009, भारत में स्थापित पवन ऊर्जा की क्षमता 11806.69मेगावाट थी, जो मुख्य रूप से तमिलनाडु (4900.765 मेगावाट), महाराष्ट्र (1945.25 मेगावाट), गुजरात (1580.61 मेगावाट), कर्नाटक (1350.23 मेगावाट) राजस्थान (745.5 मेगावाट), मध्य प्रदेश (212.8 मेगावाट), आन्ध्र प्रदेश (132.45 मेगावाट), केरल (46.5 मेगावाट), ओडिशा (2MW), पश्चिम बंगाल (1.1 मेगावाट) और अन्य राज्यों (3.20 मेगावाट) में फैली हुई थी। ऐसा अनुमान है कि 6,000 मेगावाट की अतिरिक्त पवन ऊर्जा को वर्ष 2012 तक भारत में स्थापित किया जाएगा।भारत में स्थापित कुल ऊर्जा क्षमता का 6% पवन ऊर्जा से प्राप्त होता है और देश की ऊर्जा का 1% इससे उत्पन्न होता है।भारत पवन एटलस तैयार कर रहा है।