pawas ritu Ka tatparp kya hai
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आज बरसता पावस ऋतू जल,हरितलता सँवरी धरती हो
मधुरस पीकर चला निरंतर,सरित-सी बहती मधुशाला हो
कब कहता मधुरंग बहता,धवल धारा का मटमैला रँग हो
कौन कहे तरु कोंपल विहंसा,दहकेअंतस प्रिय मधुगंध हो
किचित मधुपात्र हो जब खाली,मतवालों के मन तरंग हो
मधु बरसता जब मधुशला में, मतवालों के मन उमंग हो
बहुत हुआ अब कहने दो ,अशेष रहे जीवंत मधुशाला हो
क्यों कहूँ अंतस जलता मतवाला,देह दमन को मधुबाला हो
___@चन्द्र विजय चन्दन ,,देवघर ,,झारखण्ड
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