पय निरपेक्षा से आप क्या समानते क्या भारत एक अर्ज
निरपेक्ष देश है? बताइये कैस
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भारतीय संविधान द्वारा भारत पंथनिरपेक्ष देश घोषित किया गया है। पंथनिरपेक्षता और धर्मनिरपेक्ष देश में अंतर है कई लोग मानते हैं कि सेकुलर शब्द का अर्थ धर्मनिरपेक्ष है लेकिन उसका अर्थ पंथनिरपेक्ष होता है अर्थात कानूनी कार्रवाई सभी धर्मों के लोगों पर समान रूप से हो।
भारत एक बुद्धिस्ट देश था, इसमें कोई संदेह नहीं है। भारत में आपको प्रत्येक जगह बुद्ध ही बुद्ध नजर आएंगे, परंतु अताताईयो की वजह से भारत में बुद्ध धम्म का पतन हुआ, आज भी आपको प्रत्येक जगह बुद्ध ही नजर आएंगे अगर आप दिमाग से काम लेते हो तो।
भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, इस पर किसी धर्मविशेष का कब्जा नहीं हो सकता, भारत का हिन्दुस्तान नाम से कोई लेना देना नहीं है।
बाबा साहेब अम्बेडकर ने संविधान में साफ कहा है कि भारत का संविधान पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष है. इसलिए इस पर अपना अधिकार जमाने की जरूरत नहीं है.
पंथ निरपेक्ष होने का अर्थ है कि भारत नागरिकों को किसी भी धर्म को मानने की पूरी स्वतंत्रता है। लेकिन कोई धर्म आधिकारिक नहीं है। सरकार सभी धार्मिक मान्यताओं और आचरणों को समान सम्मान देगी।
भारत के संविधान की प्रस्तावना जब तैयार की गई तो शुरुआत में इसमें सेक्युलर शब्द नहीं था। साल 1976 में इमरजेंसी के दौरान प्रस्तावना में संशोधन किया गया, जिसमें 'सेक्युलर' शब्द को शामिल किया गया। इस पर एक पक्ष का मानना है कि संविधान में इससे पहले भी पंथ निरपेक्षता का भाव शामिल था। प्रस्तावना में सभी नागरिकों को विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता और समानता का अधिकार दिए गए हैं। 42वें संशोधन में 'सेक्युलर' शब्द को जोड़कर सिर्फ इसे स्पष्ट किया गया।
दूसरे पक्ष का यह मानना है कि संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी', 'धर्मनिरपेक्ष' और 'अखंडता' जैसे शब्दों का जुड़ना और संविधान में मौलिक कर्तव्यों का शामिल होना एक सकारात्मक बदलाव का उदाहरण है। यही कारण है कि ये बदलाव आज भी हमारे संविधान का हिस्सा हैं, लेकिन इन चुनिंदा सकारात्मक प्रावधानों से कभी भी आपातकाल और उसकी आड़ में हुए संविधान संशोधनों की क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती थी।
भारतीय समाज में धर्म निरपेक्षता के किया में कुछ ऐसे दोष है जिनसे यहां साम्प्रदायिकता तनाव को प्रोत्साहन आम भिन्न है|वर्तमान स्थिति यह है कि भारत में हिन्दुओं ,मुसलमानों तथा इसाइयो केलिए सामाजिक कानून पृथक - पृथक है| इसके फलस्वरूप विभिन्न धार्मिक समूहों में ना केवल सामाजिक दूरी बनी रहती है बल्कि सभी धार्मिक समूहों का यह पर्यतन्न रहता है कि वे धर्म के आधार पर अधिक से अधिक संगठित होकर अपने लिए एक पृथक सामाजिक व्यवस्था की मांग कर सके | इसके फस्वरूप हमारा राष्ट्र मूल रूप से ही अनेक आत्मा_केंद्रित टुकड़ों में विभाजित हो जाता है/
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Explanation:
भारतीय संविधान द्वारा भारत पंथनिरपेक्ष देश घोषित किया गया है। पंथनिरपेक्षता और धर्मनिरपेक्ष देश में अंतर है कई लोग मानते हैं कि सेकुलर शब्द का अर्थ धर्मनिरपेक्ष है लेकिन उसका अर्थ पंथनिरपेक्ष होता है अर्थात कानूनी कार्रवाई सभी धर्मों के लोगों पर समान रूप से हो।