Political Science, asked by ekta13798, 5 hours ago

पयावरण के क्षेत्र में सयुंक्त राष्ट्र दारा किये जा रहे प्रयासों और चुनौतियों का परीक्षण कीजिए ​

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Answered by Radhachahar23
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Answer:

हमारी पृथ्वी मौजूदा समय में जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता के क्षरण तथा प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन जैसी प्रमुख समस्याओं से जूझ रही है। पिछले वर्षों में यूरोप, अमेरिका तथा जापान ने तीव्र हीटवेव का सामना किया है। इससे बड़ी मात्र में आर्थिक हानि को झेलना पड़ा है। वहीं अफ्रीका तथा एशिया में उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों से बड़ी संख्या में जन-धन की हानि हुई है। पूर्वी अफ्रीका में सूखे की बारंबारता बढती जा रही है तथा कुछ क्षेत्रों में अस्वाभाविक रूप से वर्षा में भी वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिये सोमालिया सूखे के कारण अकाल से जूझ रहा है। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक पर्यावरण में भी तेजी से ह्रास हुआ है जिससे कई वन्यजीव विलुप्ति की कगार पर पहुँच चुके हैं। वर्ष 2019 में 27000 से भी अधिक प्रजातियाँ विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहीं हैं। वर्तमान में सभी बड़े देशों का आर्थिक मॉडल प्राकृतिक संसाधनों के अति दोहन पर आधारित है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार प्राकृतिक संसाधनों का निष्कर्षण और प्रसंस्करण वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के आधे के लिये उत्तरदायी है, साथ ही 80-90 प्रतिशत जैव विविधता के क्षरण के लिये भी उपर्युक्त कारण ज़िम्मेदार है। जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण से संबंधित अन्य चुनौतियों एवं इनकी तीव्रता को ध्यान में रखते हुए समय तेजी से निकल रहा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिये वैश्विक स्तर पर सहयोग पर आधारित व्यापक रणनीति का निर्माण करना होगा। पारंपरिक आर्थिक मॉडल जो सिर्फ लाभ तक सीमित है, के द्वारा उपर्युक्त समस्याओं से निपटना संभव नहीं है।

Answered by brainlyking88
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हमारी पृथ्वी मौजूदा समय में जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता के क्षरण तथा प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन जैसी प्रमुख समस्याओं से जूझ रही है। पिछले वर्षों में यूरोप, अमेरिका तथा जापान ने तीव्र हीटवेव का सामना किया है। इससे बड़ी मात्र में आर्थिक हानि को झेलना पड़ा है। वहीं अफ्रीका तथा एशिया में उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों से बड़ी संख्या में जन-धन की हानि हुई है। पूर्वी अफ्रीका में सूखे की बारंबारता बढती जा रही है तथा कुछ क्षेत्रों में अस्वाभाविक रूप से वर्षा में भी वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिये सोमालिया सूखे के कारण अकाल से जूझ रहा है। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक पर्यावरण में भी तेजी से ह्रास हुआ है जिससे कई वन्यजीव विलुप्ति की कगार पर पहुँच चुके हैं। वर्ष 2019 में 27000 से भी अधिक प्रजातियाँ विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहीं हैं। वर्तमान में सभी बड़े देशों का आर्थिक मॉडल प्राकृतिक संसाधनों के अति दोहन पर आधारित है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार प्राकृतिक संसाधनों का निष्कर्षण और प्रसंस्करण वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के आधे के लिये उत्तरदायी है, साथ ही 80-90 प्रतिशत जैव विविधता के क्षरण के लिये भी उपर्युक्त कारण ज़िम्मेदार है। जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण से संबंधित अन्य चुनौतियों एवं इनकी तीव्रता को ध्यान में रखते हुए समय तेजी से निकल रहा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिये वैश्विक स्तर पर सहयोग पर आधारित व्यापक रणनीति का निर्माण करना होगा। पारंपरिक आर्थिक मॉडल जो सिर्फ लाभ तक सीमित है, के द्वारा उपर्युक्त समस्याओं से निपटना संभव नहीं है।

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