पयायोग्य लोकागान नेलपत.
(क)
धनधान्यप्राशे नायो किल्यिचायत
विस्मयो नहि फत सक्सया सुसी स्का
सोन चार्थ प्रवी बहरला वसुन्धरा
सहिर्विवादमवीन्य विधाया । सोच
साघरे व्यवहाटे हाय तपते रखा
प प
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Bro, it's not a hindi question
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