Hindi, asked by shyamkamal2222, 1 month ago

पयणावरर् दवभणग की ओर से िल-संरक्षर् कण आग्रह करतेहएु एक दवज्ञणपि लगभग 25-50 शब्दों में तैयणर

कीदिए|​

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Answered by tuleshdandsena35
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Answer:

A spe cial en clo sure made of glass or plas tic in which plants are

grown

Answered by pragatithakur14p
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कुछ लोग यह मानते हैं की पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करना सिर्फ सरकार या कुछ संस्थाओं की ज़िम्मेदारी है। यह निरर्थक सोच है, वास्तव में पर्यावरण संरक्षण समाज के हर वर्ग तथा हर नागरिक की ज़िम्मेदारी है। प्रत्येक व्यक्ति जब इस अभियान से जुड़ेगा, तभी हम पर्यावरण को वर्तमान और भविष्य के लिए संरक्षित कर पाएंगे...

हर साल हम जुलाई में वन महोत्सव मनाते हैं। वन महोत्सव में सरकारी विभागों, ग्राम सभाओं, सामाजिक संस्थाओं, गैर सरकारी संस्थाओं व अन्य निकायों द्वारा करोड़ों वृक्षों का रोपण किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह होता है की हरियाली बढ़े, वातावरण शुद्ध हो और पर्यावरण को संरक्षित करें। देश में वन महोत्सव का आरंभ वर्ष 1950 में तत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी जी किया गया था।

हर साल हम जुलाई में वन महोत्सव मनाते हैं। वन महोत्सव में सरकारी विभागों, ग्राम सभाओं, सामाजिक संस्थाओं, गैर सरकारी संस्थाओं व अन्य निकायों द्वारा करोड़ों वृक्षों का रोपण किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह होता है की हरियाली बढ़े, वातावरण शुद्ध हो और पर्यावरण को संरक्षित करें। देश में वन महोत्सव का आरंभ वर्ष 1950 में तत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी जी किया गया था।इतने वर्षों के बाद भी हम पर्यावरण के प्रति उतने संवेदनशील नहीं हैं जितना होना चाहिए था। पर्यावरण शब्द का अर्थ है हमारे चारों ओर का वातावरण या परिवेश। इसीलिए पर्यावरण संरक्षण का तात्पर्य है कि हम अपने चारों ओर के वातावरण को संरक्षित करें और उसे जीवन के अनुकूल बनाएं। पर्यावरण और जीव एक दूसरे के पूरक हैं। इसी कारण भारतीय दर्शन में पर्यावरण संरक्षण की अवधारणा उतनी ही प्राचीन है जितना यहां मानव जाति का इतिहास है।

हर साल हम जुलाई में वन महोत्सव मनाते हैं। वन महोत्सव में सरकारी विभागों, ग्राम सभाओं, सामाजिक संस्थाओं, गैर सरकारी संस्थाओं व अन्य निकायों द्वारा करोड़ों वृक्षों का रोपण किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह होता है की हरियाली बढ़े, वातावरण शुद्ध हो और पर्यावरण को संरक्षित करें। देश में वन महोत्सव का आरंभ वर्ष 1950 में तत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी जी किया गया था।इतने वर्षों के बाद भी हम पर्यावरण के प्रति उतने संवेदनशील नहीं हैं जितना होना चाहिए था। पर्यावरण शब्द का अर्थ है हमारे चारों ओर का वातावरण या परिवेश। इसीलिए पर्यावरण संरक्षण का तात्पर्य है कि हम अपने चारों ओर के वातावरण को संरक्षित करें और उसे जीवन के अनुकूल बनाएं। पर्यावरण और जीव एक दूसरे के पूरक हैं। इसी कारण भारतीय दर्शन में पर्यावरण संरक्षण की अवधारणा उतनी ही प्राचीन है जितना यहां मानव जाति का इतिहास है।भारतीय दर्शन के अनुसार मानव शरीर की रचना पर्यावरण के पांच महत्वपूर्ण घटकों- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से हुई है। दीर्घायु और स्वस्थ मानव जीवन के लिए यह आवश्यक है कि पर्यावरण के इन सभी पांच घटकों को प्रदूषित न करते हुये भविष्य के लिए संरक्षित किया जाए। विश्व भी भारत के इस दर्शन को सम्मान करता है। इसीलिए पर्यावरण की सुरक्षा व संरक्षण के लिए पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। भारत सरकार ने वर्ष 1976 में पर्यावरण संरक्षण का विशेष संज्ञान लेते हुये संविधान में संसोधन कर नया अनुच्छेद 48A और 51A(G) जोड़े थे। अनुच्छेद 48A सरकार को निर्देश देता है कि वह पर्यावरण की सुरक्षा करे और अनुच्छेद 51A (G) नागरिकों को पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रेरित करता है।

हर साल हम जुलाई में वन महोत्सव मनाते हैं। वन महोत्सव में सरकारी विभागों, ग्राम सभाओं, सामाजिक संस्थाओं, गैर सरकारी संस्थाओं व अन्य निकायों द्वारा करोड़ों वृक्षों का रोपण किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह होता है की हरियाली बढ़े, वातावरण शुद्ध हो और पर्यावरण को संरक्षित करें। देश में वन महोत्सव का आरंभ वर्ष 1950 में तत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी जी किया गया था।इतने वर्षों के बाद भी हम पर्यावरण के प्रति उतने संवेदनशील नहीं हैं जितना होना चाहिए था। पर्यावरण शब्द का अर्थ है हमारे चारों ओर का वातावरण या परिवेश। इसीलिए पर्यावरण संरक्षण का तात्पर्य है कि हम अपने चारों ओर के वातावरण को संरक्षित करें और उसे जीवन के अनुकूल बनाएं। पर्यावरण और जीव एक दूसरे के पूरक हैं। इसी कारण भारतीय दर्शन में पर्यावरण संरक्षण की अवधारणा उतनी ही प्राचीन है जितना यहां मानव जाति का इतिहास है।भारतीय दर्शन के अनुसार मानव शरीर की रचना पर्यावरण के पांच महत्वपूर्ण घटकों- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से हुई है। दीर्घायु और स्वस्थ मानव जीवन के लिए यह आवश्यक है कि पर्यावरण के इन सभी पांच घटकों को प्रदूषित न करते हुये भविष्य के लिए संरक्षित किया जाए। विश्व भी भारत के इस दर्शन को सम्मान करता है। इसीलिए पर्यावरण की सुरक्षा व संरक्षण के लिए पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। भारत सरकार ने वर्ष 1976 में पर्यावरण संरक्षण का विशेष संज्ञान लेते हुये संविधान में संसोधन कर नया अनुच्छेद 48A और 51A(G) जोड़े थे। अनुच्छेद 48A सरकार को निर्देश देता है कि वह पर्यावरण की सुरक्षा करे और अनुच्छेद 51A (G) नागरिकों को पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रेरित करता है।पर्यावरण संरक्षण के विरोधाभास में प्रगति के नाम पर मानव द्वारा पर्यावरण को विकृत करने का प्रयास हो रहा है। विकास के अंध दौड़ में विश्व का प्रत्येक देश आगे बढ़ने को बेचैन है। प्रतिस्पर्धा के इस दौड़ में प्रकृति के बनाए हुए नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। इसका दुष्परिणाम मानव समाज के समक्ष समय-समय पर परिलक्षित होता रहता है।  

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