peam Madhuri chapter ka explanation
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प्रेम माधुरी' कविता भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने गोपिकाओं की विरह दशा का वर्णन किया है। सारांश- वर्षा ऋतु आने पर कोयलें फिर कदम्ब के वृक्षों पर बैठकर कूकने लगी हैं।
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