Hindi, asked by vinayakenterprises, 1 year ago

Pehli boond poem summary

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Answered by Satwatneyearthian
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पहली बूँद कविता में ठाकुरप्रसाद सिंह कहते हैं कि बादल की पहली बूँद वर्षा के पहले चुम्बन के समान है। बादल आंगन पर छा जाते हैं, थका हुआ मटमैला चाँद पत्तियों में से झाँकने लगता है और दूर पपीहा बोलने लगता है।

      पीछे बांस के पेड़ों में हवा का झोंका आता है और पत्तियां चंचल होकर घंटी की तरह आवाज़ करने लगती हैं। रात उमस भरी होती है। इस अँधेरे को चीरता हुआ धुंधला कुहरा फैल जाता है। ऐसे में एक बूँद सतरंगा स्पंदन करती है।  


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