Pehli boond poem summary
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पहली बूँद कविता में ठाकुरप्रसाद सिंह कहते हैं कि बादल की पहली बूँद वर्षा के पहले चुम्बन के समान है। बादल आंगन पर छा जाते हैं, थका हुआ मटमैला चाँद पत्तियों में से झाँकने लगता है और दूर पपीहा बोलने लगता है।
पहली बूँद कविता वर्णन करती है की धरती पर बारिश की पहली बूँद का के असर होता है। कवी इसको वर्षा के पहले चुम्बन की तरह मानते हैं जिसकी वजह से उनका कोमल मन यादों के कोमल झोंको से स्पंदित होता है। बादल बरगद की बाहों से निकलकर धरती पर आ जाते हैं.और मटमैला चाँद पतियों से झांकता है। पपीहे गा उठते हैं और हवा के झोंके पत्तियों को हिलाते हैं। बंधे हुए बैल भी अपनी तड़प घंटियों को बजने के माध्यम से व्यक्त करते हैं। अँधेरे को चीरता हुआ धुंधला कोहरा और वर्षा का आगमन मन को आह्लादित कर देता है।
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