pehli boond summary please...GOPAL KRISHNA KAUL
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पहली बूंद कविता में भ्रांति है कि इस के कवि कौन हैं ‘गोपाल कृष्ण कौल’ या ‘ठाकुर प्रसाद सिंह’ बहरहाल अधिकारिक रूप से ‘ठाकुर प्रसाद सिंह’ द्वारा रचित ‘पहली बूंद’ कविता का भावार्थ प्रस्तुत है।
‘पहली बूंद’ कविता में कवि बारिश की पहली बूंद के अनुभव का वर्णन करता है। कवि कहता है कि बारिश की पहली बूंद एक चुंबन के समान है। चुंबन से जो कोमल एहसास होता है वैसा ही बारिश की पहली बूंद के स्पर्श से हुआ और उसके स्पर्श से ठंडी हवा के झोंकों की तरह सभी का मन का प्रफुल्लित हो उठा है। आंगन में बड़े-बड़े बादल छा गए हैं। चांद चुपचाप झांक रहा है। पपीहा रह रह कर अपनी थकान को व्यक्त कर रहा है। तीव्र उमस से चारों तरफ उन्मासी छायी है, ऐसे में बारिश की पहली बूंद सबके मन में उत्साह का संचार कर देती है। उमस भरे वातावरण से लोगों को मुक्ति मिल गयी है। बारिश की पहली बूंद एक ठंडी बयार बन कर आयी है और सबके मन को उल्लासित कर गई है। लोगों का मन-मयूर सतरंगी होकर नाच उठा है। बारिश की वो पहली बूंद चुंबन के जैसा कोमल एहसास लेकर आयी है।
Answer: कवि गोपालकृष्ण कौल ने "पहली बूँद" नामक अपनी कविता में वर्षा ऋतु का आगमन, धरती और आसमान में कौन से परिवर्तन लाता है ? यह वर्णित किया है । कवि के अनुसार धरती में प्रथम बूँद के स्पर्श होते ही नवजीवन की शुरुआत होती है और सूखी हुई धरती अमृत -सी बूँदो को पाकर हरी- भरी घास से सुशोभित होती है |
कवि के अनुसार आसमान में बादलों की गड़गड़ाहट ने बूढ़ी (पुरातन )धरती की युवावस्था को जागृत करके उसकी चिरंतन प्यास को तृप्त कर दिया है ,फलत: वसुंधरा सस्य श्यामला बनने को आतुर है ऐसी यह पहली बूँद धरा पर अनेकों प्रकार के निमंत्रण लेकर आई है ।