pelase explain the meaning of उत्तिष्ठत भारत अथवा भाग्य और पुरुषार्थ
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पुरुषार्थ वह है, जो पुरुष को सप्रयास रखे, साथ ही सहयुक्त भी रखे। यह जो सहयोग है, सच में पुरुष और भाग्य का ही है। पुरुष अपने अहं से वियुक्त होता है, तभी भाग्य से संयुक्त होता है। लोग जब पुरुषार्थ को भाग्य से अलग और विपरीत करते हैं तो कहना चाहिए कि वे पुरुषार्थ को ही उसके अर्थ से विलग और विमुख कर देते हैं।
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