PERSUWASIVE ESSAY
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good evening dear have a great day ahead
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ऐसा नहीं के तेरे बाद अहल-ए-करम नहीं मिले,
तुझ सा नहीं मिला कोई, लोग तो कम नहीं मिले,
एक तेरी जुदाई के दर्द की बात और है,
जिनको न सह सके ये दिल, ऐसे तो ग़म नहीं मिले।
बिक गये जब तेरे लब तुझको क्या शिकवा अगर,
ज़िंदगी बादा-ओ-सागर में बहलाई गई,
ऐ ग़मे-दुनिया तुझे क्या इल्म तेरे वास्ते,
किन-किन बहानों से तबियत राह पर लाई गई।
हमें कोई ग़म नहीं था ग़म-ए-आशिक़ी से पहले,
न थी दुश्मनी किसी से तेरी दोस्ती से पहले,
है ये मेरी बदनसीबी तेरा क्या कुसूर इसमें,
तेरे ग़म ने मार डाला मुझे ज़िन्दगी से पहले।
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