Phagun mein saawan full summary
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फागुन में सावन कविता महेन्द्र भटनागर द्वारा लिखी गयी है । इसमें कवि बात करता है असमय वर्षा कि जिसके होने से पूरे वातावरण में ही परिवर्तन हो जाता है। मिट्टी से सौंधी- सौंधी खुशबू आने लगती है। पत्र विहीन डालियाँ नवीन कोंपलों से भर उठती है। सावन का महीना इतने चरम पर होता है कि होली जैसे मौसम में भी कजली गाने का मन करता है।
कवि कहता है कि जीवन-धन, रस धन से जीवन में आए संघर्षों और दुखों की ओर किया जा रहा है। जीवन में सुखों का कोई मोल नहीं जब तक आपने दुःख का अनुभव न लिया हो। संघर्षों के बाद मिली जीत का आनंद की कुछ और होता है।
कवि का कहना सही है कि यदि वस्तुएँ आसानी से प्राप्त हो जाए तो हम उस वस्तु का मूल्य नहीं समझ पाते परन्तु जब हम कष्ट से किसी भी वस्तु को साध्य करते हैं तो वही वस्तु हमारे लिए अनमोल हो जाती है। जीवन में केवल सुख ही सुख होंगे तो जीवन नीरस और उबाऊ हो जाएगा लेकिन यदि दुखों और कष्टों को झेलते हुए सुख आए तो उस सुख का आनंद ही कुछ और होता है इसलिए कष्ट के बिना सुख का कोई अर्थ नहीं है।