phool aur daalli ke beech main samvad
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फूल और डाली का संवाद
फूल - देखो कितनी प्यारी हवा बह रही है ।
डाली - हां , सचमुच ! (खुशी से)
फूल - मुझे तो झूलने का आनंद आ रहा है । (लहलहाते हुए )
डाली- तुम मेरे आधार पर खिले हुए हो, तुम्हें झूला तो मैं ही दे रही हूं ।
फूल - नहीं मैं पूरे पेड़ पर खिला हुआ हूं और मुझे झूला हवा दे रही है तुम नहीं ।
डाली - मैं तो पेड़ का स्थिर हिस्सा हूं , तुम्हें तो तोड़ लिया जाता है ।
फूल - मैं पेड़ का खूबसूरत अंश हूं इसलिए मुझे सभी चाहते हैं । ( अभिमान से )
डाली -सोचो जरा, अगर मैं ना होती तो तुम कैसे खिलते ?
फूल - मैं आगे रहता हूं, तुम पीछे-पीछे रहती हो । (अकड़ से )
डाली - किन्तु सोच कर देखो तुम्हे पोषण मेरे जरिए ही प्राप्त होता है ।
फूल - हूं (सोचते हुए)
डाली - देखो, हमें कभी अभिमान नहीं करना चाहिए हम दोनों ही इस पेड़ के हिस्से हैं ।
फूल - हम दोनों ही इस पेड़ पर आधारित है ।
डाली -चलो, भाई हम इस पेड़ को वंदन करते हैं ।
( दोनों लहराते हुए पेड़ का स्पर्श कर लेते हैं , पेड़ मुस्कुरा उठता है )
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