Hindi, asked by gunjasoni6810, 2 months ago

phool aur kate poem in hindi ​

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Answered by anjalipatil09
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फूल और कांटे – अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

ढंग उनके एक–से होते नहीं। फाड़ देता है किसी का वर वसन। भौंर का है वेध देता श्याम तन। भौंर को अपना अनूठा रस पिला।1

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