Hindi, asked by vinodkumarjagan123, 10 months ago

Picnic bare mein apne Ghar hai parivar ki bare mein das vakya likhna

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Answered by harpreet2223
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हमारी अर्द्धवार्षिक परीक्षाएँ हो चुकी र्थी । हमने मन लगाकर पढ़ाइ की थी । हम थक से गए थे । ऐसे समय में जब हमारे अध्यापक ने हमारे समक्ष पिकनिक जाने का कार्यक्रम रखा, तो हम खुशी से नाच उठे । कक्षा में ही पिकनिक के सम्बन्ध में की जाने वाली तैयारियों की विस्तृत चर्चा हो गई तथा ड्यूटियां लग गईं ।

लड़कों की चार-पाँच टोलियाँ बना दी गईं । खाने-पीने की सभी वस्तुएँ वही तैयार करने का कार्यक्रम बना । दो रसोइयों की व्यवस्था भी कर ली गई । पिकनिक से एक दिन पूर्व लड़कों की एक टोली ने बर्तनों की व्यवस्था कर लीं, दूसरी टोली फल, सब्जियाँ तथा भोजन के लिए अन्य सामग्री खरीद ले आई ।

पिकनिक के दिन हम सुबह आठ बजे स्कूल पहुँच गए । बस खड़ी थी । सामान लादा गया । हम सभी बस में सवार हो गए । भगवान का नाम लेकर ड्राइवर ने बस चला दी । प्रस्थान का क्षण हमारे लिए सबसे अधिक खुशी का क्षण था । सभी लड़के मिलकर गीत गाने लगे । यह विचित्र अवसर था । इससे पूर्व लड़के जब भी इकट्ठे होते तो आपस में लड़ते- झगड़ते थे । मिलकर प्रेम से पहली बार बैठे हुए थे ।

परिणामस्वरूप सबके कंठ से एक ही गीत अकस्मात निकला । सबमें एकता तथा परस्पर सहयोग की भावना प्रकट हो रही थी । गर्मी का मौसम था । ठंडी हवा चल रही थी । बस तेजी से गन्तव्य की ओर भाग रही थी । दोनों ओर वृक्षों की पंक्तियाँ तथा उनके पीछे हरे भरे खेत मन को लुभा रहे थे । बस में ठंडे शर्बत की व्यवस्था की गई थी ।

चलती बस, चलती हवा, हाथों में ठंडे और मीठे शर्बत के गिलास तथा होठों पर मधुर गीत । हमें इतना मजा आ रहा था और हमें ऐसा लग रहा था जैसे हम स्वर्ग-लोक की ओर बढ़ रहे हैं । बीच-बीच में कुछ लड़के खुशी में उठकर नाचने लगते थे । हमारे नगर से दूर नदी के किनारे सुन्दर तथा भव्य बाग विकसित किया गया था ।

तरह-तरह के फूल तथा वृक्षों की घनी छांव के अतिरिक्त फुव्वारे तथा बच्चों के लिए झूले थे । इसी बाग को पिकनिक स्थली के रूप में हमने चुना था । दस बजे हम इस स्थल पर पहुँच गए । हमसे पहले कई स्कूल तथा कॉलेज के लड़के तथा लड़कियों की टोलियाँ पहुँची हुई थीं । वहाँ दो चार रेस्तरां तथा होटल भी थे । कई लोग अपने परिवार सहित वहाँ पहले ही उपस्थित थे ।

वातावरण सुनसान नहीं था । स्थल पर चहल-पहल थी । वहाँ पहुंचते ही घने वृक्षों की छांव में हमने डेरा जमाया । हमने अपनी चादरें बिछा दीं और अपना सामान टिका दिया । थोड़ी दूरी पर हमने पतीले, फल, सब्जियां तथा भोजन बनाने की सामग्री रख दी । दोनों रसोइए भोजन तैयार करने के कार्य में जुट गए

Answered by sardarg41
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Answer:हमारी अर्द्धवार्षिक परीक्षाएँ हो चुकी र्थी । हमने मन लगाकर पढ़ाइ की थी । हम थक से गए थे । ऐसे समय में जब हमारे अध्यापक ने हमारे समक्ष पिकनिक जाने का कार्यक्रम रखा, तो हम खुशी से नाच उठे । कक्षा में ही पिकनिक के सम्बन्ध में की जाने वाली तैयारियों की विस्तृत चर्चा हो गई तथा ड्यूटियां लग गईं ।

लड़कों की चार-पाँच टोलियाँ बना दी गईं । खाने-पीने की सभी वस्तुएँ वही तैयार करने का कार्यक्रम बना । दो रसोइयों की व्यवस्था भी कर ली गई । पिकनिक से एक दिन पूर्व लड़कों की एक टोली ने बर्तनों की व्यवस्था कर लीं, दूसरी टोली फल, सब्जियाँ तथा भोजन के लिए अन्य सामग्री खरीद ले आई ।

पिकनिक के दिन हम सुबह आठ बजे स्कूल पहुँच गए । बस खड़ी थी । सामान लादा गया । हम सभी बस में सवार हो गए । भगवान का नाम लेकर ड्राइवर ने बस चला दी । प्रस्थान का क्षण हमारे लिए सबसे अधिक खुशी का क्षण था । सभी लड़के मिलकर गीत गाने लगे । यह विचित्र अवसर था । इससे पूर्व लड़के जब भी इकट्ठे होते तो आपस में लड़ते- झगड़ते थे । मिलकर प्रेम से पहली बार बैठे हुए थे ।

परिणामस्वरूप सबके कंठ से एक ही गीत अकस्मात निकला । सबमें एकता तथा परस्पर सहयोग की भावना प्रकट हो रही थी । गर्मी का मौसम था । ठंडी हवा चल रही थी । बस तेजी से गन्तव्य की ओर भाग रही थी । दोनों ओर वृक्षों की पंक्तियाँ तथा उनके पीछे हरे भरे खेत मन को लुभा रहे थे । बस में ठंडे शर्बत की व्यवस्था की गई थी ।

चलती बस, चलती हवा, हाथों में ठंडे और मीठे शर्बत के गिलास तथा होठों पर मधुर गीत । हमें इतना मजा आ रहा था और हमें ऐसा लग रहा था जैसे हम स्वर्ग-लोक की ओर बढ़ रहे हैं । बीच-बीच में कुछ लड़के खुशी में उठकर नाचने लगते थे । हमारे नगर से दूर नदी के किनारे सुन्दर तथा भव्य बाग विकसित किया गया था ।

तरह-तरह के फूल तथा वृक्षों की घनी छांव के अतिरिक्त फुव्वारे तथा बच्चों के लिए झूले थे । इसी बाग को पिकनिक स्थली के रूप में हमने चुना था । दस बजे हम इस स्थल पर पहुँच गए । हमसे पहले कई स्कूल तथा कॉलेज के लड़के तथा लड़कियों की टोलियाँ पहुँची हुई थीं । वहाँ दो चार रेस्तरां तथा होटल भी थे । कई लोग अपने परिवार सहित वहाँ पहले ही उपस्थित थे ।

वातावरण सुनसान नहीं था । स्थल पर चहल-पहल थी । वहाँ पहुंचते ही घने वृक्षों की छांव में हमने डेरा जमाया । हमने अपनी चादरें बिछा दीं और अपना सामान टिका दिया । थोड़ी दूरी पर हमने पतीले, फल, सब्जियां तथा भोजन बनाने की सामग्री रख दी । दोनों रसोइए भोजन तैयार करने के कार्य में जुट गए

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